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ब्रह्मचर्य और ब्रह्मचर्य के नियम

देश ,काल और वातावरण के अनुसार परिभाषाएं भी बदलती हैं और मान्यताएं भी बदलतीं हैं ब्रह्मचर्य का अर्थ पहले ब्रह्मचर्य आश्रम से होता था जो 25 वर्ष की आयु तक रहता था उस के बाद गृहस्थ आश्रम प्रारम्भ होता था परन्तु कुछ विशेष परिस्थियों में लोग आजन्म ब्रह्मचर्य का व्रत ले लेते थे प्राचीन काल में भीष्म पितामह का नाम सर्वविदित है ब्रह्मचर्य में केवल मात्र सम्भोग ही वर्जित नही है अपितु जो परिस्थितयां सम्भोग को आमंत्रित करतीं हैं वे भी वर्जित है जैसे  चुम्बन स्पर्श अश्लील सम्वाद आदि क्योंकि ये सब अंतरमन  में जा कर ब्रह्मचर्य को खंडित करने का कारण बन सकतीं हैं ब्रह्मचर्य तीन प्रकार का होता है शारीरिक ब्रह्मचर्य आलिगंन , चुम्बन , हाव , भाव एवं उपस्थेन्द्रिय के संचालन से प्रथक रहना । दूसरा मानसिक ब्रह्मचर्य वासना विषय का चिन्तन व सम्भोग आदि भावनाओं को पूर्णतयः त्याग देना. तीसरा वाचिक ब्रह्मचर्य  प्रेम सम्बन्धी चर्चा , वासना उत्पन्न करने वाले दृश्य , इण्टरनेट पर वासनायुक्त तशवीरें एवं टीवी पर प्रेम सम्बन्धी सीरियल देखना एवं इसी प्रकृति के नोवेल पुस्तकें आदि पढ़ना इन सबका बिल्कुल त्याग कर देना ।

Видео ब्रह्मचर्य और ब्रह्मचर्य के नियम канала Nightfall Solution
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