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Extremely Fast,Furious, Flying Indian Railways

Extremely Fast,Furious, Flying --Indian Railways
Season greetings and Warm Wishes to all of you my friends ,This video was shoot at Dakania Talav on April 01 .2011 , It was a high speed train of Frontier mail , Since that time Duranto expree Train 18 were not come in existence But it compete to Rajdhani Express and as per my idea it speed were 130 Kmph A Tremandous speed to be feeled by me at that time so closly.
Really its a matter of great Pleasure , that your Love and Affection to this video ,
stood it to a prestigious milestone of reaching to 11 M views ,
I am Really very much grateful to al of you ,l with the core of my Heart ,
to celebrate its Journey at 12 M views .
Your Support , Your Love , your affections will always be solicited
Keep on Watching and Stay Connected
Thank you So Much friends , Thank a Lot friends
स्वर्ण मंदिर मेल
फ्रंटियर मेल जिसे अब स्वर्ण मंदिर मेल के नाम से जाना जाता है, भारत की सबसे पुरानी रेलगाड़ियों में से एक है, जिसका परिचालन आज तक किया जा रहा है।
अपने शुरुआती दौर में, फ्रंटियर मेल बंबई (अब मुंबई) को पेशावर से जोड़ती थी जो कि अविभाजित भारत के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में स्थित था और इसी से इसका नाम फ्रंटियर (सीमांत) पड़ा था। इस रेलगाड़ी का जिक्र हिंदी फिल्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो में किया गया है: कहते हैं कि नेताजी 1944 में फ्रंटियर मेल से पेशावर गये थे और वहाँ से अफगानिस्तान के काबुल को चले गये थे। भारत के विभाजन के बाद, फ्रंटियर मेल मुंबई और अमृतसर के बीच चलने लगी जो इस रेलमार्ग पर भारत का अंतिम शहर है। 1996 में इसका नाम बदलकर सिखों के पवित्रतम स्थल स्वर्ण मंदिर के नाम पर स्वर्ण मंदिर मेल 12903 UP/ 12904 DN कर दिया गया।

जहाँ पंजाब मेल मुंबई से पेशावर जाने में कई दिन लगाती थी वहीं फ्रंटियर मेल सिर्फ 72 घंटे में पेशावर पहुँचती थी। फ्रंटियर मेल को यात्रियों और डाक को मुंबई से दिल्ली ले जाने के लिए शुरु किया गया था और उसके बाद नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के सहयोग पेशावर तक जाती थी, रास्ते में यह पंजाब, लाहौर और रावलपिंडी (जो कि कश्मीर जाने वालों के लिए आखिरी रेलवे स्टेशन था)। मुंबई और दिल्ली के बीच रेलगाड़ी लगभग 1393 किमी की दूरी तय करती थी जबकि मुंबई से पेशावर के बीच की दूरी 2335 किमी थी। यह रेलगाड़ी एक लंबे समय तक भारत की सबसे तेज चलने वाली रेलगाड़ी बनी रही। 1930 में, लंदन के द टाइम्स ने इसे "ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर चलने वाली एक्सप्रेस गाड़ियों में से सबसे प्रसिद्ध रेलगाड़ी बताया।"
सितंबर और दिसंबर के बीच शरद ऋतु के महीनों के दौरान, रेलगाड़ी बल्लार्ड पियर मोल स्टेशन से रवाना होती थी ताकि स्टीमर द्वारा भारत आने वाले अंग्रेज आसानी से इस रेलगाड़ी की यात्रा कर सकें।
रोचक तथ्य
फ्रंटियर मेल एक समय की बेहद पाबंद रेलगाड़ी थी। आमतौर पर यह माना जाता था कि आपकी रोलेक्स घड़ी आपको गलत समय बता सकती है, लेकिन फ्रंटियर मेल हमेशा समय पर पहुँचती है। वास्तव में, आप 10 में 9 बार अपनी घड़ी फ्रंटियर मेल के हिसाब से मिला सकते थे।
पहली बार
फ्रंटियर मेल, तब भारतीय प्रायद्वीप की पहली वातानुकूलित रेलगाड़ी बन गयी जब 1934 में, इसमें एक वातानुकूलित डिब्बा जोड़ा गया।
पहली बार किसी चलती हुयी रेलगाड़ी में रेडियो की सुविधा प्रदान की गयी थी।
इतिहास
फ्रंटियर मेल भूतपूर्व रेल सेवा बॉम्बे, बरोडा एण्ड सेंट्रल इंडिया रेलवे, की सोच का परिणाम थी और उसने इसे अपनी कट्टर प्रतिद्वंदी कंपनी ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे को उसकी रेलगाड़ी पंजाब मेल का जबाव देने के लिए शुरु किया था। फ्रंटियर मेल अपनी पहली यात्रा पर 1 सितम्बर 1928 को रवाना हुयी थी। जब इसे पहली बार शुरु किया गया था, तो यह रेलगाड़ी मुंबई के बल्लार्ड पियर मोल स्टेशन, से पेशावर के बीच चलती थी। जब बल्लार्ड पियर स्टेशन को बंद किया गया तो इसका आरंभिक स्टेशन कोलाबा, मुंबई कर दिया गया। आज पेशावर पाकिस्तान के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। बल्लार्ड पियर मोल स्टेशन, यूरोप से पी एंड ओ स्टीमर द्वारा आयी डाक का लदान स्टेशन भी था। यह जानना अपने आप में काफी दिलचस्प है कि जब रेलगाड़ी बल्लार्ड पियर मोल स्टेशन से रवाना होती थी तो यह पहले बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट रेलवे और फिर ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की पटरियों से कुछ सफर तय करने के बाद ही अंततः

Видео Extremely Fast,Furious, Flying Indian Railways канала Rakesh Sharma Bikaner
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Информация о видео
1 апреля 2011 г. 17:04:14
00:00:53
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