नैनी पुल Naini Bridge के काले रहस्य | Allahabad : Prayagraj | Sudhanshu Trivedi
. यमुना नदी पर बना नया पुल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। लेकिन साथ ही अब इस पर 'सुसाइड प्वाइंट' का टैग भी लगता जा रहा है। महज 10 साल में 600 लोग इस पुल से कूदकर अपनी जान दे चुके हैं। कहीं कोई पुल से यमुना में कूद न जाए, इसके लिए चौकीदार लगा दिए हैं। 15-25 साल के युवा देते हैं जान...
- इस ब्रिज का कंस्ट्रक्शन इलाहाबाज और नैनी को जोड़ने के लिए साल 2000 में शुरू हुआ था।
- लगभग 40 महीने के समय में यह पूरी तरह तैयार हुआ।
- इसके लिए जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन ने फंडिंग की थी।
- ब्रिज की डिजाइन और कंस्ट्रक्शन स्ट्रेटेजी के लिए दानिश कंपनी COWI से सलाह ली गई थी।
- रिपोर्ट के मुताबिक यहां से कूदकर जान देने वालों में औसत उम्र 15 से 25 साल है। क्या कहते हैं सुसाइड के गवाह बने लोग - ब्रिज के ठीक सामने बनी दुकान के मालिक रमेश रानी और रवि ने बताया, "हम लोगों ने पुल को बनाते हुऐ देखा है। इसी के पास हमारी दुकान है। पिछले 10 सालो में बहुत से लोग यहां से जान देने के लिए कूद गए। इनमें से कुछ मरे तो कुछ जिंदा भी बच गए।"
- रमेश कहते हैं, "पुल से छलांग लगने वाले लोग या तो घर से लड़ाई करके आते हैं, या एग्जाम में फेल होने की वजह से। कुछ जोड़े भी आते हैं, जिनके मां-बाप ने शादी की इजाजत देने से मना कर दिया हो।" सुसाइड प्वाइंट से जुड़े हैं कुछ MYTH - पुल के पास बने बेहरना के रहने वाले अरुण कहते हैं, "इस पुल के नीचे एक मजार थी। इसलिए यह पुल जिंदगी को अपनी ओर खींच लेता है।"
- सोशल वर्कर बाबा अवस्थी कहते हैं, "इलाहबाद प्रयाग में पुरातन काल में मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्महत्या की मान्यता देखी गई है। जब लोग संगम के पास स्थित अक्षयवट पेड़ से कूद कर जान देते थे। यह अक्षवट आज अकबर के बनाए किले में है।"
- अवस्थी के मुताबिक अकबर ने एक फरमान जरी कर कूद कर आत्महया पर रोक लगा दी थी।
- जानकारों का यह भी मानना है कि अकबर की रोक के बावजूद लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए किले से कूद कर ख़ुदकुशी करते रहे।
- यह भी कहा जाता है कि इलाहबाद का संगम किनारे बना किला कुंवारा किला है। क्योंकि इस किले ने कभी कोई युद्ध नहीं देखा। इसी वजह से किला बलि मांगता रहता है।
- कुछ ऐसी ही भ्रांतियां नए यमुना पुल से भी जुड़ गईं हैं।
#Nainibridge #नैनीपुल #prayagraj
Видео नैनी पुल Naini Bridge के काले रहस्य | Allahabad : Prayagraj | Sudhanshu Trivedi канала Sudhanshu Trivedi
- इस ब्रिज का कंस्ट्रक्शन इलाहाबाज और नैनी को जोड़ने के लिए साल 2000 में शुरू हुआ था।
- लगभग 40 महीने के समय में यह पूरी तरह तैयार हुआ।
- इसके लिए जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन ने फंडिंग की थी।
- ब्रिज की डिजाइन और कंस्ट्रक्शन स्ट्रेटेजी के लिए दानिश कंपनी COWI से सलाह ली गई थी।
- रिपोर्ट के मुताबिक यहां से कूदकर जान देने वालों में औसत उम्र 15 से 25 साल है। क्या कहते हैं सुसाइड के गवाह बने लोग - ब्रिज के ठीक सामने बनी दुकान के मालिक रमेश रानी और रवि ने बताया, "हम लोगों ने पुल को बनाते हुऐ देखा है। इसी के पास हमारी दुकान है। पिछले 10 सालो में बहुत से लोग यहां से जान देने के लिए कूद गए। इनमें से कुछ मरे तो कुछ जिंदा भी बच गए।"
- रमेश कहते हैं, "पुल से छलांग लगने वाले लोग या तो घर से लड़ाई करके आते हैं, या एग्जाम में फेल होने की वजह से। कुछ जोड़े भी आते हैं, जिनके मां-बाप ने शादी की इजाजत देने से मना कर दिया हो।" सुसाइड प्वाइंट से जुड़े हैं कुछ MYTH - पुल के पास बने बेहरना के रहने वाले अरुण कहते हैं, "इस पुल के नीचे एक मजार थी। इसलिए यह पुल जिंदगी को अपनी ओर खींच लेता है।"
- सोशल वर्कर बाबा अवस्थी कहते हैं, "इलाहबाद प्रयाग में पुरातन काल में मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्महत्या की मान्यता देखी गई है। जब लोग संगम के पास स्थित अक्षयवट पेड़ से कूद कर जान देते थे। यह अक्षवट आज अकबर के बनाए किले में है।"
- अवस्थी के मुताबिक अकबर ने एक फरमान जरी कर कूद कर आत्महया पर रोक लगा दी थी।
- जानकारों का यह भी मानना है कि अकबर की रोक के बावजूद लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए किले से कूद कर ख़ुदकुशी करते रहे।
- यह भी कहा जाता है कि इलाहबाद का संगम किनारे बना किला कुंवारा किला है। क्योंकि इस किले ने कभी कोई युद्ध नहीं देखा। इसी वजह से किला बलि मांगता रहता है।
- कुछ ऐसी ही भ्रांतियां नए यमुना पुल से भी जुड़ गईं हैं।
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