राम-लक्ष्मण सीता की खोज | जटायु का अंतिम संस्कार | अशोक वाटिका में सीताजी | रामायण | दिव्य कथाएँ
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0
सीता की खोज में वन-वन भटकते राम और लक्ष्मण को घायलावस्था में जटायु मिलते हैं। जटायु राम को रावण द्वारा सीता को आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर ले जाने की बात बता कर अपने प्राण उनकी बाँहों में त्याग देता हैं। राम पितातुल्य जटायु का पुत्र भाँति अन्तिम संस्कार करते हैं। दूसरी तरफ लंका स्थित अशोक वाटिका में राक्षसियों के पहरे में रह रही सीता द्वारा लंका की महारानी बनने के प्रलोभन को न मानने पर रावण सीता को जबरन बाहों में लेने के लिए आगे बढ़ता है। इस पर सीता माता अनुसूइया को साक्षी मानकर घास के एक तिनके के तोड़ कर अपने और रावण के मध्य रख कर कहती है कि यदि रावण ने इसे पार किया तो वह वही भष्म हो जाएगा। अंहकार में डूबा रावण जैसे ही सीता को बाल पकड़ कर घसीटने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता है। तभी एक आकाशवाणी उसे नलकुबेर के उस श्राप को याद दिलाती है जिसके अनुसार यदि वह किसी परस्त्री की इच्छा के विरूद्ध उसका सतीत्व भंग करेगा तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जायेंगे। रावण अपना हाथ वापस खींच सीता को एक वर्ष का समय देकर वहाँ से चला जाता है। अशोक वाटिका की मुख्य प्रहरी राक्षसी त्रिजटा अकेले में सीता को सांत्वना देने के साथ उसके लिए सात्विक भोजन के प्रबन्ध का आश्वासन देती हैं।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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Видео राम-लक्ष्मण सीता की खोज | जटायु का अंतिम संस्कार | अशोक वाटिका में सीताजी | रामायण | दिव्य कथाएँ канала Tilak
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सीता की खोज में वन-वन भटकते राम और लक्ष्मण को घायलावस्था में जटायु मिलते हैं। जटायु राम को रावण द्वारा सीता को आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर ले जाने की बात बता कर अपने प्राण उनकी बाँहों में त्याग देता हैं। राम पितातुल्य जटायु का पुत्र भाँति अन्तिम संस्कार करते हैं। दूसरी तरफ लंका स्थित अशोक वाटिका में राक्षसियों के पहरे में रह रही सीता द्वारा लंका की महारानी बनने के प्रलोभन को न मानने पर रावण सीता को जबरन बाहों में लेने के लिए आगे बढ़ता है। इस पर सीता माता अनुसूइया को साक्षी मानकर घास के एक तिनके के तोड़ कर अपने और रावण के मध्य रख कर कहती है कि यदि रावण ने इसे पार किया तो वह वही भष्म हो जाएगा। अंहकार में डूबा रावण जैसे ही सीता को बाल पकड़ कर घसीटने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता है। तभी एक आकाशवाणी उसे नलकुबेर के उस श्राप को याद दिलाती है जिसके अनुसार यदि वह किसी परस्त्री की इच्छा के विरूद्ध उसका सतीत्व भंग करेगा तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जायेंगे। रावण अपना हाथ वापस खींच सीता को एक वर्ष का समय देकर वहाँ से चला जाता है। अशोक वाटिका की मुख्य प्रहरी राक्षसी त्रिजटा अकेले में सीता को सांत्वना देने के साथ उसके लिए सात्विक भोजन के प्रबन्ध का आश्वासन देती हैं।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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