तेरह मंजिल मंदिर | श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर ऋषिकेश | शिव मंदिर | उत्तराखंड | 4K | दर्शन | तिलक 🙏
हर हर महादेव भक्तों. हमारे यात्रा कार्यक्रम दर्शन में आप सबका हार्दिक अभिनंदन. भक्तो भगवान् भोलेनाथ की शक्ति अनंत हैं और उनकी कथाएँ भी अनंत हैं, ऐसे ही उनके नाम भी अनंत ही हैं. भगवान् भोलेनाथ का एक नाम है त्रियम्ब्केश्वर, अर्थात त्रिनेत्र वाले. त्रियम्ब्केश्वर भगवान का एक मंदिर नाशिक महाराष्ट्र में है और दूसरा मंदिर है उत्तराखंड में. भक्तो आज हम आपको दर्शन कराएँगे इन्ही भगवान त्रियबंकेश्वर मंदिर के, जो अद्भुत, सुन्दर एवं बहुत ही विशाल मंदिर हैं, ये भगवान् शिव का एक मात्र मंदिर है जो १३ मंजिल का है, तो आइये दर्शन करते हैं इस भव्य, सुंदर श्री त्रियंबकेश्वर "तेरह मंजिल मंदिर" के।
मंदिर के बारे में:
भक्तो उत्तराखंड ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास गंगा नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर, "तेरह मंजिल मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है. भक्तो ये पवित्र मंदिर १३ मंजिला है और प्रत्येक मंजिल में हिन्दू देवी-देवताओ की कई मुर्तिया स्थापित हैं। इस मंदिर की भव्यता दर्शनीय है। वैसे तो ये मंदिर भगवन त्रियंबकेश्वर को समर्पित है परन्तु यहाँ चारो, वैष्णव सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय , ब्रह्म सम्प्रदाय , कुमार सम्प्रदाय, रूद्र सम्प्रदाय तथा शैव सम्प्रदाय के सभी भगवान और देवी-देवताओ की प्रतिमाये हैं. इस प्रकार से एक ही स्थान पर सभी सम्प्रदाय के भक्त बड़ी ही श्रद्धा के साथ भगवान् के विग्रहो की पूजा करते हैं।
मंदिर का इतिहास:
भक्तो मंदिर के इतिहास के बारे कुछ ठोस प्रमाण नहीं है, किन्तु कहा जाता है कि ९वी शताब्दी में आदि शंकराचार्य जी ने यहाँ भगवान् त्रियंबकेश्वर की स्थापना की थी, उसके बाद यहाँ एक छोटा सा मंदिर बना फिर समय के साथ मंदिर का पुनरुथान होता रहा और आज त्रियंबकेश्वर मंदिर ऋषिकेश का सबसे प्रसिद्ध और ऊँचा मंदिर हैं, भक्तो भगवान शिव त्रिनेत्रधारी हैं इसीलिए उन्हें त्र्यंबकेश्वर भी कहते हैं, भगवान् शिव के तीसरे नेत्र प्रकट होने की कई कथाएं हैं उनमे से एक है कि एक बार खेल ही खेल में माँ पार्वती ने भगवान शिव की दोनों आँखों पर हाथ रख लिया ताकि भगवान शिव देख न सके, और तभी भगवान् शिव का तीसरा नेत्र तुरंत प्रकट हो गया, माँ पार्वती ये देखकर चकित रह गयी। भक्तो भगवान् शिव अनंत हैं उनकी कथाएं भी अनंत ही हैं।
मंदिर परिसर:
भक्तो त्र्यंबकेश्वर मंदिर या तेरह मंजिल मंदिर बहुत ही सुन्दर और विशाल मंदिर है, मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है, मंदिर की दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओ की मुर्तिया उकेरी गयी हैं जो मंदिर को और भी भव्य बनाती हैं। मंदिर की शिल्प कला की प्रशंसा नहीं की जा सकती क्यूंकि मंदिर बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाया गया है, इस मंदिर को ऋषिकेश नगर का आकर्षण केंद्र भी कह सकते हैं, यहाँ प्रथम ४ मंजिल बहुत ही विशाल हैं इनमे कई अलग-अलग देवी-देवताओ की सुन्दर मुर्तिया हैं, यहाँ मंदिर में अनेको दुकाने भी हैं, जहाँ से आप पूजा सम्बन्धी लगभग सभी प्रकार की वस्तुएं खरीद सकते हैं, मंदिर से आस-पास का दृश्य मन को मंत्र्मुघ्ध करने वाला है, एक ओर पास में ही लक्ष्मण झूला है, सामने पतित पावनि माँ गंगा प्रवाहित हो रही हैं , चारो ओर सुन्दर हरे-भरे पर्वत हैं. मंदिर की ऊंचाई बहुत अधिक होने के कारण मंदिर की सबसे ऊपरी मंजिल से चारो ओर का दृश्य बहुत ही सुन्दर दिखाई देता है। यहाँ पहुंचकर मन अति प्रसन्न और आनंदित हो उठता है। मंदिर में प्रवेश के बाद अपने जुते चप्पल आप निचे ही शूज स्टैंड में रख सकते हैं, उसके बाद जैसे ही अंदर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो बाईं ओर शाम के समय गंगा आरती होती है और दाए जायेंगे तो मुख्य मंदिर के दर्शन होते है, मंदिर में ही एक लाइब्रेरी भी है जहाँ हिन्दू धर्म के वैदिक और धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं।
भक्तों यदि आप आराम से मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको लगभग दो घंटे का समय लग सकता है, मंदिर के बाहर लक्ष्मण झूले के पास स्पीड बोटिंग की सुविधा भी है। आप इच्छनुसार इसका भी आनंद ले सकते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल:
भक्तो यदि आप उत्तराखंड ऋषिकेश में स्थित त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर अर्थात "तेरह मंजिल मंदिर" के दर्शनों के लिए आयें तो, ऋषिकेश और हरिद्वार में आस-पास कई दर्शनीय स्थल हैं जहाँ के भी आप दर्शन कर सकते हैं, जिनमे प्रमुख हैं, लक्ष्मण झूला , राम झूला, नीलकंठ महादेव , त्रिवेणी घाट, परमार्थ निकेतन ,गीता भवन , मुनि की रेती , भरत मंदिर , ऋषिकुंड, लक्ष्मण मंदिर , वशिष्ट गुफा,कुंजापुरी देवी मंदिर, शिवानंद आश्रम ,ओमकारानंद आश्रम ,स्वर्गाश्रम ,रघुनाथ मंदिर ,वीर भद्र मंदिर , मनसा देवी मंदिर, हर की पौड़ी, गंगा आरती, शांतिकुंज, चंडी देवी, पतंजलि यगपीठ, माँ आनंदमई आश्रम, भारत माता मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम और तुलसी मानस मंदिर ।
श्रेय:
लेखक - याचना अवस्थी
Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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मंदिर के बारे में:
भक्तो उत्तराखंड ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास गंगा नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर, "तेरह मंजिल मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है. भक्तो ये पवित्र मंदिर १३ मंजिला है और प्रत्येक मंजिल में हिन्दू देवी-देवताओ की कई मुर्तिया स्थापित हैं। इस मंदिर की भव्यता दर्शनीय है। वैसे तो ये मंदिर भगवन त्रियंबकेश्वर को समर्पित है परन्तु यहाँ चारो, वैष्णव सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय , ब्रह्म सम्प्रदाय , कुमार सम्प्रदाय, रूद्र सम्प्रदाय तथा शैव सम्प्रदाय के सभी भगवान और देवी-देवताओ की प्रतिमाये हैं. इस प्रकार से एक ही स्थान पर सभी सम्प्रदाय के भक्त बड़ी ही श्रद्धा के साथ भगवान् के विग्रहो की पूजा करते हैं।
मंदिर का इतिहास:
भक्तो मंदिर के इतिहास के बारे कुछ ठोस प्रमाण नहीं है, किन्तु कहा जाता है कि ९वी शताब्दी में आदि शंकराचार्य जी ने यहाँ भगवान् त्रियंबकेश्वर की स्थापना की थी, उसके बाद यहाँ एक छोटा सा मंदिर बना फिर समय के साथ मंदिर का पुनरुथान होता रहा और आज त्रियंबकेश्वर मंदिर ऋषिकेश का सबसे प्रसिद्ध और ऊँचा मंदिर हैं, भक्तो भगवान शिव त्रिनेत्रधारी हैं इसीलिए उन्हें त्र्यंबकेश्वर भी कहते हैं, भगवान् शिव के तीसरे नेत्र प्रकट होने की कई कथाएं हैं उनमे से एक है कि एक बार खेल ही खेल में माँ पार्वती ने भगवान शिव की दोनों आँखों पर हाथ रख लिया ताकि भगवान शिव देख न सके, और तभी भगवान् शिव का तीसरा नेत्र तुरंत प्रकट हो गया, माँ पार्वती ये देखकर चकित रह गयी। भक्तो भगवान् शिव अनंत हैं उनकी कथाएं भी अनंत ही हैं।
मंदिर परिसर:
भक्तो त्र्यंबकेश्वर मंदिर या तेरह मंजिल मंदिर बहुत ही सुन्दर और विशाल मंदिर है, मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है, मंदिर की दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओ की मुर्तिया उकेरी गयी हैं जो मंदिर को और भी भव्य बनाती हैं। मंदिर की शिल्प कला की प्रशंसा नहीं की जा सकती क्यूंकि मंदिर बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाया गया है, इस मंदिर को ऋषिकेश नगर का आकर्षण केंद्र भी कह सकते हैं, यहाँ प्रथम ४ मंजिल बहुत ही विशाल हैं इनमे कई अलग-अलग देवी-देवताओ की सुन्दर मुर्तिया हैं, यहाँ मंदिर में अनेको दुकाने भी हैं, जहाँ से आप पूजा सम्बन्धी लगभग सभी प्रकार की वस्तुएं खरीद सकते हैं, मंदिर से आस-पास का दृश्य मन को मंत्र्मुघ्ध करने वाला है, एक ओर पास में ही लक्ष्मण झूला है, सामने पतित पावनि माँ गंगा प्रवाहित हो रही हैं , चारो ओर सुन्दर हरे-भरे पर्वत हैं. मंदिर की ऊंचाई बहुत अधिक होने के कारण मंदिर की सबसे ऊपरी मंजिल से चारो ओर का दृश्य बहुत ही सुन्दर दिखाई देता है। यहाँ पहुंचकर मन अति प्रसन्न और आनंदित हो उठता है। मंदिर में प्रवेश के बाद अपने जुते चप्पल आप निचे ही शूज स्टैंड में रख सकते हैं, उसके बाद जैसे ही अंदर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो बाईं ओर शाम के समय गंगा आरती होती है और दाए जायेंगे तो मुख्य मंदिर के दर्शन होते है, मंदिर में ही एक लाइब्रेरी भी है जहाँ हिन्दू धर्म के वैदिक और धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं।
भक्तों यदि आप आराम से मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको लगभग दो घंटे का समय लग सकता है, मंदिर के बाहर लक्ष्मण झूले के पास स्पीड बोटिंग की सुविधा भी है। आप इच्छनुसार इसका भी आनंद ले सकते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल:
भक्तो यदि आप उत्तराखंड ऋषिकेश में स्थित त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर अर्थात "तेरह मंजिल मंदिर" के दर्शनों के लिए आयें तो, ऋषिकेश और हरिद्वार में आस-पास कई दर्शनीय स्थल हैं जहाँ के भी आप दर्शन कर सकते हैं, जिनमे प्रमुख हैं, लक्ष्मण झूला , राम झूला, नीलकंठ महादेव , त्रिवेणी घाट, परमार्थ निकेतन ,गीता भवन , मुनि की रेती , भरत मंदिर , ऋषिकुंड, लक्ष्मण मंदिर , वशिष्ट गुफा,कुंजापुरी देवी मंदिर, शिवानंद आश्रम ,ओमकारानंद आश्रम ,स्वर्गाश्रम ,रघुनाथ मंदिर ,वीर भद्र मंदिर , मनसा देवी मंदिर, हर की पौड़ी, गंगा आरती, शांतिकुंज, चंडी देवी, पतंजलि यगपीठ, माँ आनंदमई आश्रम, भारत माता मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम और तुलसी मानस मंदिर ।
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लेखक - याचना अवस्थी
Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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