खत्म हुआ कलयुग , सच हो रही भविष्यवाणियां । चारों धामों के अंत की भविष्यवाणियां । kalyug ka ant 2024
खत्म हुआ कलयुग , सच हो रही भविष्यवाणियां । चारों धामों के अंत की भविष्यवाणियां । kalyug ka ant 2024
दोस्तों कलयुग के अंतिम समय में जगन्नाथ धाम , द्वारिका धाम और रामेश्वरम धाम एक सुनामी के कारण समुद्र के आगोस में समा जायेंगें और जो बद्रीनाथ धाम है वह तो पहले ही भूकंप के कारण जमीन में समा चुके होंगे । कलयुग के अंतिम समय में ना केवल चारों धाम बल्कि और भी बहुत सारे देव धाम प्राकृतिक आपदाओं के कारण पूरी तरह से विलुप्त हो जायेंगें । और जैसे ही चारों धाम पृथ्वी से विलुप्त हो जायेंगें , उसी समय आसमान से उल्का पिंड गिरेंगें और चारों ओर केवल अंधकार ही अंधकार दिखाई देगा । इसी के साथ में भगवान कल्कि दुनिया से पाप , अधर्म , अन्याय , अत्याचार आदि का अंत करके , सतयुग की स्थापना करेंगें । और हैरानी वाली बात तो यह है की चारों धामों के अंत के संकेत भी हमें मिलना प्रारंभ हो गये हैं । इससे पता चलता है की कलयुग का अंत बहुत जल्दी होने वाला है । कौन - कौन से धाम से कलयुग के अंत के क्या-क्या संकेत मिल रहे हैं ? कैसे और कब , चारों धाम विलुप्त हो जायेंगें ? कैसे होगी इस दुनिया में महाप्रलय ? जानेंगें सबकुछ पूरे विस्तार के साथ में , इसलिये चैनल पर न्यू आये हैं तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करके साथ में घंटी वाला वेल आइकन जरुर दबा दें । तभी आपको न्यू विडियो का नाटिफिकेशन मिल पायेगा । तो चलिये दोस्तों बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं ।
दोस्तों , वेदों के अनुसार सनातन धर्म में चार युगों के बारे में बताया गया है , सतयुग , त्रेतायुग , द्वापर युग और कलयुग । हर एक युग में किसी ना किसी धाम की स्थापना हुयी है , और हर युग में भगवान विष्णु ने कोई ना कोई अवतार भी अवश्य लिया है । बद्रीनाथ धाम की स्थापना सतयुग में हुयी थी और इस युग में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार , हयग्रीव , क्रूम , वाराह और नरसिंह अवतार लिया था । भगवान ने वाराह अवतार रखकर राक्षस राज बलि को पताल लोक में समा दिया था । रामेश्वरम धाम की स्थापना त्रेतायुग में हुयी थी , इस युग में भगवान श्री विष्णु ने श्रीराम अवतार लिया था । और घमंडी रावण का अंत किया था । द्वारिका धाम की स्थापना द्वापर युग में हुती थी और इस युग में भगवान श्री विष्णु ने कृष्ण अवतार लेकर कंस का अंत किया था । इसी प्रकार जगन्नाथ धाम की स्थापना कलयुग में हुयी है और भगवान श्री विष्णु इस युग में कल्कि अवतार धारण करके कलि राक्षस का अंत करेंगें । और फिर से पुनः सतयुग स्थापना करेंगें । जिस प्रकार इन धामों की स्थापना हुयी है , उसी क्रम में इन धामों का भी अंत हो जायेगा । यानि सबसे पहले बद्रीनाथ धाम विलुप्त होगा और सबसे अंत में जगन्नाथ धाम । यह सब कैसे और कब होगा चलिये जानते हैं -
1. बद्रीनाथ धाम - बद्रीनाथ धाम की स्थापना कैसे हुयी और इसका नाम बद्रीनाथ कैसे पड़ा , इसको लेकर बहुत रोचक कहानी प्रचलित है । पौराणिक कथाओं और यहां की लोक कथाओं के अनुसार यहां नीलकंठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतरण किया था। कहते हैं कि भगवान विष्णुजी अपने ध्यानयोग और विश्राम हेतु एक उपयुक्त स्थान खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा नदी के समीप यह स्थान बहुत भा गया। उस वक्त यह स्थान भगवान शंकर और पार्वती का निवास स्थान था। ऐसे में विष्णु जी ने एक युक्ति सोची। एक दिन शिव और पार्वती भ्रमण के लिए बाहर निकले और जब वे वापस लौटे तो उन्होंने द्वार पर एक नन्हे शिशु को रोते हुए देखा। माता पार्वती की ममता जाग उठी। वह उस शिशु को उठाने लगी तभी शिव ने रोका और कहा कि उस शिशु को मत छुओ। पार्वती ने पूछा क्यों? शिव बोले यह कोई साधारण शिशु नहीं है। सोचो यह यहां अचानक कैसे और कहां से आ गया? दूर तक कोई इसके माता पिता नजर नहीं आते। यह कोई बच्चा नहीं बल्की मायावी लगता है। हलांकी भगवान शंकर सब समझ गये थे । लेकिन माता पार्वती नहीं मानी और वह बच्चे को उठाकर घर के अंदर ले गई। माता पार्वती ने बच्चे को चुप कराया और उसे दूध पिलाया। फिर वह बच्चे को वहीं सुलाकर शिव के साथ नजदीक के एक गर्म झरने में स्नान करने के लिए चली गयीं । जब वे दोनों वापस लौटे तो उन्होंने देखा की घर का दरवाजा अंदर से बंद था। माता पार्वती ने शिव से कहा कि अब हम क्या करें? शिव ने कहा कि यह तुम्हारा बालक है। मैं कुछ नहीं कर सकता। अच्छा होगा कि हम कोई नया ठिकाना ढूंढ लें, क्योंकि अब दरवाज नहीं खुलने वाला है और मैं बलपूर्वक इस दरवाजे को नहीं खोलूंगा। कहते हैं कि शिव और पार्वती वह स्थान छोड़कर केदारेश्वर चले गए और वह बालक जो भगवान विष्णु थे वहीं जमे रहे। इस तरह भगवान विष्णु ने जबरन बद्रीनाथ को अपना विश्राम स्थान बना लिया।
Copyright Disclaimer under Section 107 of the copyright act 1976, allowance is made for fair use for purposes such as criticism, comment, news reporting, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Nonprofit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use.
Photos with the videos remain the property of their respectfully owners. If any of photos is featured in my video if want to remove or want credit than kindly contact me through mail which is given in my channel about section
Disclaimer : Our objective is not to promote any kind of damned story and superstitious. This video is for your entertainment only. The information given in the video is according to the information received on the Internet. We do not confirm its truth in any way. This video is for entertainment only and only. And our motive is not to hurt anyone's feelings.
#rahasyaduniyahindi #badrinath #dwarkadhish #jagannath #rameshwaram #4dhamyatra #kalyug #kalki #bhavishyavani
Видео खत्म हुआ कलयुग , सच हो रही भविष्यवाणियां । चारों धामों के अंत की भविष्यवाणियां । kalyug ka ant 2024 канала Rahasya Duniya Hindi
दोस्तों कलयुग के अंतिम समय में जगन्नाथ धाम , द्वारिका धाम और रामेश्वरम धाम एक सुनामी के कारण समुद्र के आगोस में समा जायेंगें और जो बद्रीनाथ धाम है वह तो पहले ही भूकंप के कारण जमीन में समा चुके होंगे । कलयुग के अंतिम समय में ना केवल चारों धाम बल्कि और भी बहुत सारे देव धाम प्राकृतिक आपदाओं के कारण पूरी तरह से विलुप्त हो जायेंगें । और जैसे ही चारों धाम पृथ्वी से विलुप्त हो जायेंगें , उसी समय आसमान से उल्का पिंड गिरेंगें और चारों ओर केवल अंधकार ही अंधकार दिखाई देगा । इसी के साथ में भगवान कल्कि दुनिया से पाप , अधर्म , अन्याय , अत्याचार आदि का अंत करके , सतयुग की स्थापना करेंगें । और हैरानी वाली बात तो यह है की चारों धामों के अंत के संकेत भी हमें मिलना प्रारंभ हो गये हैं । इससे पता चलता है की कलयुग का अंत बहुत जल्दी होने वाला है । कौन - कौन से धाम से कलयुग के अंत के क्या-क्या संकेत मिल रहे हैं ? कैसे और कब , चारों धाम विलुप्त हो जायेंगें ? कैसे होगी इस दुनिया में महाप्रलय ? जानेंगें सबकुछ पूरे विस्तार के साथ में , इसलिये चैनल पर न्यू आये हैं तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करके साथ में घंटी वाला वेल आइकन जरुर दबा दें । तभी आपको न्यू विडियो का नाटिफिकेशन मिल पायेगा । तो चलिये दोस्तों बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं ।
दोस्तों , वेदों के अनुसार सनातन धर्म में चार युगों के बारे में बताया गया है , सतयुग , त्रेतायुग , द्वापर युग और कलयुग । हर एक युग में किसी ना किसी धाम की स्थापना हुयी है , और हर युग में भगवान विष्णु ने कोई ना कोई अवतार भी अवश्य लिया है । बद्रीनाथ धाम की स्थापना सतयुग में हुयी थी और इस युग में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार , हयग्रीव , क्रूम , वाराह और नरसिंह अवतार लिया था । भगवान ने वाराह अवतार रखकर राक्षस राज बलि को पताल लोक में समा दिया था । रामेश्वरम धाम की स्थापना त्रेतायुग में हुयी थी , इस युग में भगवान श्री विष्णु ने श्रीराम अवतार लिया था । और घमंडी रावण का अंत किया था । द्वारिका धाम की स्थापना द्वापर युग में हुती थी और इस युग में भगवान श्री विष्णु ने कृष्ण अवतार लेकर कंस का अंत किया था । इसी प्रकार जगन्नाथ धाम की स्थापना कलयुग में हुयी है और भगवान श्री विष्णु इस युग में कल्कि अवतार धारण करके कलि राक्षस का अंत करेंगें । और फिर से पुनः सतयुग स्थापना करेंगें । जिस प्रकार इन धामों की स्थापना हुयी है , उसी क्रम में इन धामों का भी अंत हो जायेगा । यानि सबसे पहले बद्रीनाथ धाम विलुप्त होगा और सबसे अंत में जगन्नाथ धाम । यह सब कैसे और कब होगा चलिये जानते हैं -
1. बद्रीनाथ धाम - बद्रीनाथ धाम की स्थापना कैसे हुयी और इसका नाम बद्रीनाथ कैसे पड़ा , इसको लेकर बहुत रोचक कहानी प्रचलित है । पौराणिक कथाओं और यहां की लोक कथाओं के अनुसार यहां नीलकंठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतरण किया था। कहते हैं कि भगवान विष्णुजी अपने ध्यानयोग और विश्राम हेतु एक उपयुक्त स्थान खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा नदी के समीप यह स्थान बहुत भा गया। उस वक्त यह स्थान भगवान शंकर और पार्वती का निवास स्थान था। ऐसे में विष्णु जी ने एक युक्ति सोची। एक दिन शिव और पार्वती भ्रमण के लिए बाहर निकले और जब वे वापस लौटे तो उन्होंने द्वार पर एक नन्हे शिशु को रोते हुए देखा। माता पार्वती की ममता जाग उठी। वह उस शिशु को उठाने लगी तभी शिव ने रोका और कहा कि उस शिशु को मत छुओ। पार्वती ने पूछा क्यों? शिव बोले यह कोई साधारण शिशु नहीं है। सोचो यह यहां अचानक कैसे और कहां से आ गया? दूर तक कोई इसके माता पिता नजर नहीं आते। यह कोई बच्चा नहीं बल्की मायावी लगता है। हलांकी भगवान शंकर सब समझ गये थे । लेकिन माता पार्वती नहीं मानी और वह बच्चे को उठाकर घर के अंदर ले गई। माता पार्वती ने बच्चे को चुप कराया और उसे दूध पिलाया। फिर वह बच्चे को वहीं सुलाकर शिव के साथ नजदीक के एक गर्म झरने में स्नान करने के लिए चली गयीं । जब वे दोनों वापस लौटे तो उन्होंने देखा की घर का दरवाजा अंदर से बंद था। माता पार्वती ने शिव से कहा कि अब हम क्या करें? शिव ने कहा कि यह तुम्हारा बालक है। मैं कुछ नहीं कर सकता। अच्छा होगा कि हम कोई नया ठिकाना ढूंढ लें, क्योंकि अब दरवाज नहीं खुलने वाला है और मैं बलपूर्वक इस दरवाजे को नहीं खोलूंगा। कहते हैं कि शिव और पार्वती वह स्थान छोड़कर केदारेश्वर चले गए और वह बालक जो भगवान विष्णु थे वहीं जमे रहे। इस तरह भगवान विष्णु ने जबरन बद्रीनाथ को अपना विश्राम स्थान बना लिया।
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