एक बहुत ही सुंदर स्वरचित निमाड़ी भजन/भक्त के मन की पुकार- म्हारा मन की बात कान्हा जानी लीजे री 💯🙏
कान्हा जाणि लिजे रे कान्हा जाणि लिजे रे।
म्हारा मन कि वात कान्हा जाणि लिजे रे।।
सासु न्हाव गंगा, न नंणद जमुना
मन आसो काई बिगाडयो,मन आसो काई बिगाडयो
हाउ न्हाउ घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु कि गंगा पुर आई, नंणद कि जमना पुर
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन म आनन्द आयो
तिनयि न्हावा घरम।
कान्हा जाणि लीजे रे................
सासु जीम भंडारा म, नंणद होटल म
मन आसो काई बिगाडयो, मन आसो काई बिगाडयो
हाउ जीमु घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
ससरा न उठयि लाकडि, सासु क घमकयि
नंणद भी टुक टुक देख्या कर बोलि नहि पाई
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन मा आनंद आयो
तीनय जीमा घरम ।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु जाय तीरथ करण, नंणद घुमण फिरण
मन आसो काई बिगाडेव,मन आसो काई बिगाडेव
हाउ फिरु घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु का दुख टोगल्या, चलाय न फिराय
नंणद क कय बेटि तु पराय घर कि आय
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन म आनन्द आयो
तीनय फिरा घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु खाय दहिया, न नंणद कुल्फि
मन आसो काई बिगाडयो, मन आसो काई बिगाडयो
हाउ चाय पिऊ गुड कि।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु को दहिया आई न, वा चाटि गयि मांजरि
नंणद कि कुल्फि लावत लावत गलयि गयि सारि
म्हारा मन म आनन्द आयो,म्हारा मन म आनन्द आयो
तीनय चाय पिवा गुडकि।
कान्हा जाणि लिजे रे, कान्हा जाणि लिजे रे।
म्हारा मन कि बात कन्हा जाणि लिजे रे।।
"भारती शर्मा"
Видео एक बहुत ही सुंदर स्वरचित निमाड़ी भजन/भक्त के मन की पुकार- म्हारा मन की बात कान्हा जानी लीजे री 💯🙏 канала निमाड़ी भजन रस
म्हारा मन कि वात कान्हा जाणि लिजे रे।।
सासु न्हाव गंगा, न नंणद जमुना
मन आसो काई बिगाडयो,मन आसो काई बिगाडयो
हाउ न्हाउ घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु कि गंगा पुर आई, नंणद कि जमना पुर
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन म आनन्द आयो
तिनयि न्हावा घरम।
कान्हा जाणि लीजे रे................
सासु जीम भंडारा म, नंणद होटल म
मन आसो काई बिगाडयो, मन आसो काई बिगाडयो
हाउ जीमु घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
ससरा न उठयि लाकडि, सासु क घमकयि
नंणद भी टुक टुक देख्या कर बोलि नहि पाई
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन मा आनंद आयो
तीनय जीमा घरम ।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु जाय तीरथ करण, नंणद घुमण फिरण
मन आसो काई बिगाडेव,मन आसो काई बिगाडेव
हाउ फिरु घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु का दुख टोगल्या, चलाय न फिराय
नंणद क कय बेटि तु पराय घर कि आय
म्हारा मन म आनन्द आयो, म्हारा मन म आनन्द आयो
तीनय फिरा घरम।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु खाय दहिया, न नंणद कुल्फि
मन आसो काई बिगाडयो, मन आसो काई बिगाडयो
हाउ चाय पिऊ गुड कि।
कान्हा जाणि लिजे रे...............
सासु को दहिया आई न, वा चाटि गयि मांजरि
नंणद कि कुल्फि लावत लावत गलयि गयि सारि
म्हारा मन म आनन्द आयो,म्हारा मन म आनन्द आयो
तीनय चाय पिवा गुडकि।
कान्हा जाणि लिजे रे, कान्हा जाणि लिजे रे।
म्हारा मन कि बात कन्हा जाणि लिजे रे।।
"भारती शर्मा"
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15 мая 2024 г. 12:15:00
00:05:56
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