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बशीर बद्र और निदा फ़ाजली की ग़ज़लें | आखों में रहा दिल में उतर कर नही देखा | प्रस्तुति- गौरव सतीश

बशीर बद्र और निदा फ़ाजली की ग़ज़लें | आखों में रहा दिल में उतर कर नही देखा | प्रस्तुति- गौरव सतीश
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भारत विविधताओं का देश है। यहां धर्म ,भाषा ,क्षेत्र और रंग की तमाम विविधताएं मौजूद हैं। भाषाई विविधताओं के मामले में तो भारत इस दुनिया का सबसे समृद्ध देश है। आज भी यहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां इस्तेमाल होती हैं लेकिन सैकड़ों भाषाएं जानने वाले और बोलने वाले इस देश में अंग्रेजी की प्रभुसत्ता (Hegemony) और वैधता (legitimacy) हैरान करने वाली है।
अंग्रेजी भाषा अपने आप में बुरी नहीं है और आज के समय में यह भाषा दुनिया को जानने और समझने के लिए बेहद जरूरी है ,लेकिन दुर्भाग्य से अंग्रेजी केवल एक भाषा भर नहीं है। यह एक सिस्टम है, एक औजार है जो एलिट तबके द्वारा भारतीय भाषाओं के खिलाफ इस्तेमाल होता है। यह हमारे औपनिवेशिक सोच (Colonial Mindset )को दर्शाता है।

हम जिस भाषा में अपनी मां से बात करते हैं, हम जिस भाषा में जन्म लेने के बाद तूतलाते हुए बोलना सीखते हैं वह हमारी मातृभाषा है। अंग्रेजी का सिस्टम ऐसा है कि हम अपने मातृभाषा के प्रति ही हीन भावना ( Imferiority Complex) से ग्रसित हो जाते हैं। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि भारतीय भाषाओं के साहित्य पर भी कुछ खास लोगों का और अत्यधिक एलिट तबके का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। साहित्य से एक आम व्यक्ति की दूरी दिन प्रतिदिन गहरी होती जा रही है। भाषा विचारों के प्रसार का माध्यम होती है , उसकी विरोधी नहीं।व्याकरण निष्ठ भाषा और कठिन शब्दों के इस्तेमाल भाषा को आम जन से जोड़ नहीं पाते।

इन सभी बातों को देखते हुए हम सब नें एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है। जिसमें भारत के तमाम विश्वविद्यालयों के लोग शामिल हैं। हम सब ने कविता का एक मंच शुरू किया है ,जिसका नाम "The Indian Literature" है। इस मंच पर सभी भारतीय भाषाओं एवं बोलियों का स्वागत है। इस मंच पर कोई भी व्यक्ति अपनी भाषा या बोली में बेझिझक कुछ भी गा या सुना सकता है ।

यह खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो सामान्य तौर पर साहित्य से जुड़े हुए नहीं हैं। आप सभी हम सब का साथ दें और उस भाषा को आगे बढ़ाने का काम करें जिस भाषा में आप अपनी मां से बात करते हैं।

शुक्रिया
Team The Indian Literature

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4 января 2023 г. 9:10:50
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