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बुद्धम और संघम, ओशो और कम्यून

२१ मार्च ओशो का सम्बोधि दिवस हैं
एक शिष्य की प्रेमांजलि हैं अपने सद्गुर के प्रति जिसने अध्यात्म को विज्ञान का रूप देना चाहा, बोले ही नहीं, उसके लिए फैक्ट्री भी खोली. ओशो कम्यून एक लैब थी धर्म, अर्थ, काम मोक्ष की.
उसका बेडा ग़र्क़ कर दिया हैं उनके मुख्य शिष्यों ने. यही कारण हैं कभी पुणे दुनिया भर के साधकों का जमघट था अब चंद लोगों की प्राइवेट प्रॉपर्टी जैसा.

Видео बुद्धम और संघम, ओशो और कम्यून канала Iqbal Singh
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21 марта 2018 г. 21:21:22
00:06:43
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