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#katha_kasturi । पहलवान की ढोलक । कहानी: फणीश्वरनाथ रेणु । नैरेशन: मौसमी चंद्रा । #Moshmi_Chandra

भरी आवाज़ में एक ढोल-जो अब तक चुप था-बोलने लगा.
‘ढाक् ढिना,ढाक् ढिना,ढाक् ढिना...’
(अर्थात्-वाह पट्ठे! वाह पट्ठे!!)
लुट्टन को चांद ने कसकर दबा लिया था.
‘अरे गया-गया!’ दर्शकों ने तालियां बजाईं. ‘हलुआ हो जाएगा, हलुआ! हंसी-खेल नहीं-शेर का बच्चा है... बच्चू!’
‘चट् गिड़ धा, चट् गिड़ धा, चट् गिड़ धा...’
(मत डरना, मत डरना, मत डरना...)
क्या था उस ढोलक की आवाज में, जो एक पहलवान के बाजुओं में जोश भरती थी!
मौसमी चंद्रा से सुनिए फणीश्वरनाथ रेणु जी की एक कालजयी रचना #पहलवानकीढोलक #फणीश्वरनाथरेणु #पहलवान #हिंदीकहानी #moshmichandra #audiostory #हैजा #कुश्ती #रेणु #katha_kasturi #audiostory #hindi #hindiwriting #language #literature #story #हिन्दीसाहित्य #voiceover #writer

Видео #katha_kasturi । पहलवान की ढोलक । कहानी: फणीश्वरनाथ रेणु । नैरेशन: मौसमी चंद्रा । #Moshmi_Chandra канала Katha Kasturi
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