🕉🙏 श्री पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र 🌼 Shree Panchmukhi Hanuman Stotra 🙏🕉 @JaiShreeRam-p3k
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पंचमुखी हनुमान: स्वरूप, महत्व और प्रसिद्ध मंदिर
हनुमान जी, भारतीय संस्कृति में शक्ति, भक्ति और निष्ठा के प्रतीक माने जाते हैं। उनके अनेक स्वरूपों का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिनमें से एक प्रमुख रूप पंचमुखी हनुमान का है. यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी माना जाता है, जिसमें हनुमान जी पांच दिशाओं में मुख वाले रूप में प्रकट होते हैं. इन पांच मुखों का अपना विशिष्ट महत्व है और यह अलग-अलग देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. पंचमुखी हनुमान के इस स्वरूप में पांच मुख और दस भुजाएं हैं, जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं और उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम हैं. शाब्दिक रूप से, 'पंचमुखी हनुमान' का अर्थ है पांच मुखों वाले हनुमान. इस स्वरूप की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है और इससे अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. हनुमान जी के इस विशेष रूप की उपासना भक्तों के लिए भय, रोग और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है.
पंचमुखी हनुमान के अवतार की कथा रामायण के युद्ध काल से जुड़ी हुई है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार रावण के साथ युद्ध के दौरान भगवान श्री राम संकट में पड़ गए थे, तब हनुमान जी ने उनकी सहायता के लिए पंचमुखी अवतार धारण किया था. इस कथा के अनुसार, रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करके भगवान राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया और उन्हें पाताल लोक ले गया. अहिरावण को यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु तभी संभव है जब कोई पांच दिशाओं में जल रहे पांच दीपकों को एक साथ बुझा दे. भगवान राम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख करके पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया. उन्होंने एक ही समय में उन पांचों दीपकों को बुझाकर अहिरावण का वध किया और भगवान राम एवं लक्ष्मण को संकट से उबारा. इस घटना के बाद से ही पंचमुखी हनुमान के इस स्वरूप की पूजा की जाती है. इस अवतार की महिमा भक्तों द्वारा गीतों और कहानियों के माध्यम से गाई और सुनाई जाती है. एक प्रचलित कथा के अनुसार, हनुमान जी पातालपुरी के द्वार पर पहुंचे, जहां उनका सामना अहिरावण के वीर पुत्र मकरध्वज से हुआ। इसके पश्चात, हनुमान जी ने सूक्ष्म रूप धारण कर महल में प्रवेश किया और पांच मुखों से पांच दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया.
पंचमुखी हनुमान के पांच मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं और प्रत्येक मुख का अपना विशेष महत्व है. ये पांच मुख वानर, गरुड़, वराह, नृसिंह और अश्व के हैं.
| वानर (Vanar) | पूर्व (East) | शत्रुओं पर विजय (Victory over enemies) |
| गरुड़ (Garuda) | पश्चिम (West) | जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाश (Destroys obstacles and troubles in life), विष और भूत निवारण (Removes poison and evil spirits) |
| वराह (Varaha) | उत्तर (North) | लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति (Long life, fame, and power), पाताल और पृथ्वी के कष्ट हरता (Removes troubles of Patal and Earth) |
| नृसिंह (Narasimha) | दक्षिण (South) | मन से डर और तनाव को दूर करता (Removes fear and stress from the mind) |
| अश्व (Ashwa) | आकाश (Skyward) | समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति (Fulfills all wishes and desires), Hayagriva |
पूर्व दिशा में स्थित वानर मुख शत्रुओं पर विजय प्रदान करता है.
पश्चिम दिशा में गरुड़ मुख जीवन की बाधाओं और परेशानियों को नष्ट करने वाला माना जाता है, साथ ही यह विष और बुरी आत्माओं से भी रक्षा करता है.
उत्तर दिशा में वराह मुख लंबी आयु, प्रसिद्धि और शक्ति का प्रतीक है, और यह पाताल लोक तथा पृथ्वी के कष्टों को दूर करने में सहायक है.
दक्षिण दिशा में नृसिंह मुख मन से डर और तनाव को दूर करता है.
आकाश की ओर स्थित अश्व मुख, जिसे हयग्रीव भी कहा जाता है, सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.
इस प्रकार, पंचमुखी हनुमान का प्रत्येक मुख एक विशिष्ट उद्देश्य और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है.
भारत में पंचमुखी हनुमान के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनका अपना विशिष्ट महत्व और इतिहास है.
दिल्ली एनसीआर के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित बिसरख गांव के किनारे पर पंचमुखी हनुमान मंदिर बना हुआ है, जिसकी स्थापना 1991 में हुई थी.
तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल है, जहां भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में घने जंगलों के बीच हनुमान जी का पंचमुखी सिद्ध मंदिर है, जिसे बंदरखोह के नाम से भी जाना जाता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
राजस्थान के जोधपुर में स्थित प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर की विशाल प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है और यह भक्तों के सभी कष्टों को हरने वाली है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जी की 31 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जिसे 2012 में स्थापित किया गया था। यह मंदिर चमत्कारी माना जाता है और यहां 11 परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
बिहार के पटना में राजवंशी नगर में पंच रूपी हनुमान मंदिर है, जहां हनुमान जी पांच रूपों में विराजमान हैं। यह मंदिर लगभग 1962 में स्थापित हुआ था और यहां हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है, साथ ही शिव परिवार की मूर्तियां भी हैं.
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हनुमान जी, भारतीय संस्कृति में शक्ति, भक्ति और निष्ठा के प्रतीक माने जाते हैं। उनके अनेक स्वरूपों का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिनमें से एक प्रमुख रूप पंचमुखी हनुमान का है. यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी माना जाता है, जिसमें हनुमान जी पांच दिशाओं में मुख वाले रूप में प्रकट होते हैं. इन पांच मुखों का अपना विशिष्ट महत्व है और यह अलग-अलग देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. पंचमुखी हनुमान के इस स्वरूप में पांच मुख और दस भुजाएं हैं, जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं और उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम हैं. शाब्दिक रूप से, 'पंचमुखी हनुमान' का अर्थ है पांच मुखों वाले हनुमान. इस स्वरूप की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है और इससे अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. हनुमान जी के इस विशेष रूप की उपासना भक्तों के लिए भय, रोग और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है.
पंचमुखी हनुमान के अवतार की कथा रामायण के युद्ध काल से जुड़ी हुई है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार रावण के साथ युद्ध के दौरान भगवान श्री राम संकट में पड़ गए थे, तब हनुमान जी ने उनकी सहायता के लिए पंचमुखी अवतार धारण किया था. इस कथा के अनुसार, रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करके भगवान राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया और उन्हें पाताल लोक ले गया. अहिरावण को यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु तभी संभव है जब कोई पांच दिशाओं में जल रहे पांच दीपकों को एक साथ बुझा दे. भगवान राम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख करके पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया. उन्होंने एक ही समय में उन पांचों दीपकों को बुझाकर अहिरावण का वध किया और भगवान राम एवं लक्ष्मण को संकट से उबारा. इस घटना के बाद से ही पंचमुखी हनुमान के इस स्वरूप की पूजा की जाती है. इस अवतार की महिमा भक्तों द्वारा गीतों और कहानियों के माध्यम से गाई और सुनाई जाती है. एक प्रचलित कथा के अनुसार, हनुमान जी पातालपुरी के द्वार पर पहुंचे, जहां उनका सामना अहिरावण के वीर पुत्र मकरध्वज से हुआ। इसके पश्चात, हनुमान जी ने सूक्ष्म रूप धारण कर महल में प्रवेश किया और पांच मुखों से पांच दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया.
पंचमुखी हनुमान के पांच मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं और प्रत्येक मुख का अपना विशेष महत्व है. ये पांच मुख वानर, गरुड़, वराह, नृसिंह और अश्व के हैं.
| वानर (Vanar) | पूर्व (East) | शत्रुओं पर विजय (Victory over enemies) |
| गरुड़ (Garuda) | पश्चिम (West) | जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाश (Destroys obstacles and troubles in life), विष और भूत निवारण (Removes poison and evil spirits) |
| वराह (Varaha) | उत्तर (North) | लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति (Long life, fame, and power), पाताल और पृथ्वी के कष्ट हरता (Removes troubles of Patal and Earth) |
| नृसिंह (Narasimha) | दक्षिण (South) | मन से डर और तनाव को दूर करता (Removes fear and stress from the mind) |
| अश्व (Ashwa) | आकाश (Skyward) | समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति (Fulfills all wishes and desires), Hayagriva |
पूर्व दिशा में स्थित वानर मुख शत्रुओं पर विजय प्रदान करता है.
पश्चिम दिशा में गरुड़ मुख जीवन की बाधाओं और परेशानियों को नष्ट करने वाला माना जाता है, साथ ही यह विष और बुरी आत्माओं से भी रक्षा करता है.
उत्तर दिशा में वराह मुख लंबी आयु, प्रसिद्धि और शक्ति का प्रतीक है, और यह पाताल लोक तथा पृथ्वी के कष्टों को दूर करने में सहायक है.
दक्षिण दिशा में नृसिंह मुख मन से डर और तनाव को दूर करता है.
आकाश की ओर स्थित अश्व मुख, जिसे हयग्रीव भी कहा जाता है, सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.
इस प्रकार, पंचमुखी हनुमान का प्रत्येक मुख एक विशिष्ट उद्देश्य और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है.
भारत में पंचमुखी हनुमान के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनका अपना विशिष्ट महत्व और इतिहास है.
दिल्ली एनसीआर के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित बिसरख गांव के किनारे पर पंचमुखी हनुमान मंदिर बना हुआ है, जिसकी स्थापना 1991 में हुई थी.
तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल है, जहां भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में घने जंगलों के बीच हनुमान जी का पंचमुखी सिद्ध मंदिर है, जिसे बंदरखोह के नाम से भी जाना जाता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
राजस्थान के जोधपुर में स्थित प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर की विशाल प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है और यह भक्तों के सभी कष्टों को हरने वाली है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जी की 31 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जिसे 2012 में स्थापित किया गया था। यह मंदिर चमत्कारी माना जाता है और यहां 11 परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
बिहार के पटना में राजवंशी नगर में पंच रूपी हनुमान मंदिर है, जहां हनुमान जी पांच रूपों में विराजमान हैं। यह मंदिर लगभग 1962 में स्थापित हुआ था और यहां हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है, साथ ही शिव परिवार की मूर्तियां भी हैं.
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9 мая 2025 г. 19:56:58
00:18:35
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