Full information of Pig Farming @@@ Indian farming technology
सूकर पालन कम कीमत पर में कम समय में अधिक आय देने वाला व्यवसाय साबित हो सकता हैं,जो युवक पशु पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहते हैं सूकर एक ऐसा पशु है, जिसे पालना आय की दृष्टि से बहुत लाभदायक हैं, क्योंकि सूकर का मांस प्राप्त करने के लिए ही पाला जाता हैं । इस पशु को पालने का लाभ यह है कि एक तो सूकर एक ही बार में 5 से 14 बच्चे देने की क्षमता वाला एकमात्र पशु है, जिनसे मांस तो अधिक प्राप्त होता ही है और दूसरा इस पशु में अन्य पशुओं की तुलना में साधारण आहार को मांस में परिवर्तित करने की अत्यधिक क्षमता होती है, जिस कारण रोजगार की दृष्टि से यह पशु लाभदायक सिद्ध होता है ।
यदि किसान सूकर पालन की शुरुआत करते हैं तो उनके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। सूकर पालन कोई भी किसान कर सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा भी सहायता प्रदान की जाती है। इसके मांस में प्रोटीन होने की वजह से इसके मांस की मांग अधिक है। सुअर के मांस को निर्यात कर भी अच्छी आमदनी की जा सकती है।
सूकर का मांस भोजन के रूप में खाने के अलावा इस पशु का प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप में उपयोगी है। सूकर की चर्बी, पोर्क, त्वचा, बाल और हड्डियों से विलासिता के सामान तैयार किये जाते हैं। इसे अपनाकर बेरोजगार युवक आत्मनिर्भर हो सकते हैं । अपने देश के बेरोजगार ग्रामीण युवकों, अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए तो सूकर पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय साबित हो सकता है, बशर्ते इस व्यवसाय को आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ अपनाया जाये ।यह व्यवसाय किसानों को रोजगार का एक अवसर देता है इसलिए हम कह सकते हैं कि यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है लेकिन इसके लिए आवश्यकता है सही जानकारी की।
सरकार ने भी सुकर पालन से संबंधित प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये गये है। जिससे लोगों की रूझान इस व्यवसाय की तरफ बढ़ती जा रही है, सूकर को खरीदने व बेचने के लिए समय-समय पर विभिन्नि क्षेत्रों में मार्केटिंग हार्ट भी लगाये जाते है, सूकर मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां उचित मूल्य पर सूकरों का क्रय-विक्रय होता है और सूकर के रोगों की रोकथाम के लिए टीके व कीटनाशक दवाएं दी जाती हैं. देशी सूकर पालना आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद नहीं होता, क्योंकि जहां देशी नस्ल के सूकर का वजन डेढ़ वर्ष की आयु में 35-40 किलोग्राम होता है, वहीं इतनी ही आयु के विदेशी नस्ल के सूकर का वजन 90 से 100 किलोग्राम होता है, जहां देशी नस्ल के नवजात बच्चे का वजन 1.4 किलोग्राम होता है, देशी सूकरों का मांस भी काफी घटिया किस्म का होता हैं, इसलिए विदेशी नस्ल के सूकर ही पालने चाहिए।
सूकर पालन के लिए घर बनाते समय सर्दी, गर्मी, वर्षा नमी व सूखे आदि से बचाव का ध्यान रखना चाहिए । सूकरों के घर के साथ ही बाड़े भी बनाने चाहिए । ताकि सूकर बाड़े में घूम-फिर सकें । बाड़े में कुछ छायादार वृक्ष भी होने चाहिए, जिससे अधिक गर्मी के मौसम में सूकर वृक्षों की छाया में आराम कर सकें । सूकरों के घर की छत ढलवां होनी चाहिए और घर में रोशनी व पानी के लिए खुला बनाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि खुरली गोलाई में हो ताकि राशन आसानी से खाया जा सके । सूकरों के घर का फर्श समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए । मादा सूकर वर्ष में दो बार बच्चे देती हैं, सामान्यतया मादा 112 से 116 दिन गर्भावस्था में रहती हैं इस अवस्था में तो विशेष सावधानी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन ब्याने से एक महीना पूर्व मादा को प्रतिदिन तीन किलोग्राम खुराक दी जाती है, ताकि मादा की बढ़ती हुई जरूरत को पूरा किया जा सके ।
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सूकर का मांस भोजन के रूप में खाने के अलावा इस पशु का प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप में उपयोगी है। सूकर की चर्बी, पोर्क, त्वचा, बाल और हड्डियों से विलासिता के सामान तैयार किये जाते हैं। इसे अपनाकर बेरोजगार युवक आत्मनिर्भर हो सकते हैं । अपने देश के बेरोजगार ग्रामीण युवकों, अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए तो सूकर पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय साबित हो सकता है, बशर्ते इस व्यवसाय को आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ अपनाया जाये ।यह व्यवसाय किसानों को रोजगार का एक अवसर देता है इसलिए हम कह सकते हैं कि यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है लेकिन इसके लिए आवश्यकता है सही जानकारी की।
सरकार ने भी सुकर पालन से संबंधित प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये गये है। जिससे लोगों की रूझान इस व्यवसाय की तरफ बढ़ती जा रही है, सूकर को खरीदने व बेचने के लिए समय-समय पर विभिन्नि क्षेत्रों में मार्केटिंग हार्ट भी लगाये जाते है, सूकर मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां उचित मूल्य पर सूकरों का क्रय-विक्रय होता है और सूकर के रोगों की रोकथाम के लिए टीके व कीटनाशक दवाएं दी जाती हैं. देशी सूकर पालना आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद नहीं होता, क्योंकि जहां देशी नस्ल के सूकर का वजन डेढ़ वर्ष की आयु में 35-40 किलोग्राम होता है, वहीं इतनी ही आयु के विदेशी नस्ल के सूकर का वजन 90 से 100 किलोग्राम होता है, जहां देशी नस्ल के नवजात बच्चे का वजन 1.4 किलोग्राम होता है, देशी सूकरों का मांस भी काफी घटिया किस्म का होता हैं, इसलिए विदेशी नस्ल के सूकर ही पालने चाहिए।
सूकर पालन के लिए घर बनाते समय सर्दी, गर्मी, वर्षा नमी व सूखे आदि से बचाव का ध्यान रखना चाहिए । सूकरों के घर के साथ ही बाड़े भी बनाने चाहिए । ताकि सूकर बाड़े में घूम-फिर सकें । बाड़े में कुछ छायादार वृक्ष भी होने चाहिए, जिससे अधिक गर्मी के मौसम में सूकर वृक्षों की छाया में आराम कर सकें । सूकरों के घर की छत ढलवां होनी चाहिए और घर में रोशनी व पानी के लिए खुला बनाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि खुरली गोलाई में हो ताकि राशन आसानी से खाया जा सके । सूकरों के घर का फर्श समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए । मादा सूकर वर्ष में दो बार बच्चे देती हैं, सामान्यतया मादा 112 से 116 दिन गर्भावस्था में रहती हैं इस अवस्था में तो विशेष सावधानी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन ब्याने से एक महीना पूर्व मादा को प्रतिदिन तीन किलोग्राम खुराक दी जाती है, ताकि मादा की बढ़ती हुई जरूरत को पूरा किया जा सके ।
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