वास्ता:—मेरी पहली कविता।#kavita #poem #poetry #viral #shorts #viralshorts
वास्ता।
मेरी पहली कविता।
#kavita
#poem
#poetry
यूं तो कोई होगा जो ढूंढता होगा रास्ता।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।
धीरे से मैं उससे मिलने चला।
तो पता चला, वो एक राज-सा।
यूं तो बैठा था वो शांत-सा ।
फिर भी अंदर एक उबाल-सा।
वो उगना चाहता सूरज-सा।
फिर भी है रहता शाम-सा।
पत्ता था वो पेड़ से टूटा-सा।
एक पंछी था वो गुमसुम-सा।
शायद वो हम जैसा या तुम जैसा।
यूं हसी की बातों पर ग़म जैसा।
कैसा हैं! कहकर बनाया दुनिया ने उसे ऐसा।
वो सोचता दुनिया में नहीं कोई मेरे जैसा।
इससे पहले वो दुनिया से अलविदा कह बैठा।
अब मैं बैठा उसकी याद में,
सोचते हुए कि वो दोस्त होता।
काश ऐसे होता या ऐसे होता।
काश मैं दिखला पाता उसे रास्ता।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।।
Видео वास्ता:—मेरी पहली कविता।#kavita #poem #poetry #viral #shorts #viralshorts канала Priyanshu_sharma_poet
मेरी पहली कविता।
#kavita
#poem
#poetry
यूं तो कोई होगा जो ढूंढता होगा रास्ता।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।
धीरे से मैं उससे मिलने चला।
तो पता चला, वो एक राज-सा।
यूं तो बैठा था वो शांत-सा ।
फिर भी अंदर एक उबाल-सा।
वो उगना चाहता सूरज-सा।
फिर भी है रहता शाम-सा।
पत्ता था वो पेड़ से टूटा-सा।
एक पंछी था वो गुमसुम-सा।
शायद वो हम जैसा या तुम जैसा।
यूं हसी की बातों पर ग़म जैसा।
कैसा हैं! कहकर बनाया दुनिया ने उसे ऐसा।
वो सोचता दुनिया में नहीं कोई मेरे जैसा।
इससे पहले वो दुनिया से अलविदा कह बैठा।
अब मैं बैठा उसकी याद में,
सोचते हुए कि वो दोस्त होता।
काश ऐसे होता या ऐसे होता।
काश मैं दिखला पाता उसे रास्ता।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।।
क्यूं न हम जाकर वहां उससे बनाएं वास्ता।।
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Информация о видео
7 июня 2025 г. 12:41:42
00:00:51
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