Hindi Moral Story | Kutte aur Khargosh ki Kahani | Hindi Kahani | Hindi Kids Story | Hindi Story
This is a Hindi language story for Kids and teenagers with a moral Message.
एक बार कुछ जंगली कुत्ते खरगोशों के एक झुंड का पीछा कर रहे थे। सभी खरगोश अपनी जान बचाने के लिए अंधाधुंध भागे जा रहे थे। किसी तरह वे जंगली कुत्तों का शिकार बनने से बच सके और एक सूखी झाड़ी के पीछे जा छुपे।
भागने के कारण सभी थके हुए थे, जान पर बन आने के कारण डरे हुए थे और अपने जीवन के बारे में सोच कर दु:खी थे। कुछ देर गहरी सांस लेकर जब वे सामान्य हुए, तो अपनी स्थिति पर चर्चा करने लगे।
एक खरगोश बोला, “मित्रों! क्या जीवन मिला है हमको! हम कितने छोटे, तुच्छ और निरीह प्राणी हैं। न हमारे पास हिरण के जैसे सींग है, न बिल्ली के जैसे तेज पंजे। शत्रु पीछे पड़ जाए, तो भागने के सिवाय हमारे पास कोई चारा नहीं रहता। ईश्वर ने घोर अन्याय किया है, हमारे साथ। संसार की सारी विपदा हमारे सिर डाल दी है।”
दूसरा खरगोश बोला, “सच कहते हो मित्र! हर समय प्राणों का संकट मंडराता रहता है। ऐसे भयपूर्ण जीवन से मैं बड़ा दुखी हूँ। जीवनलीला समाप्त करने का मन करता है।”
तीसरा खरगोश बोला, “मेरा मन भी करता है कि मर जाऊं। मैं अभी जाकर तालाब में कूद जाऊंगा।”
पढ़ें : शेर और तीन गाय की कहानी | The Lion And Three Cows Story In Hindi
सारे खरगोश अपनी जीवन लीला समाप्त करने पर उतारू हो गए और उन्होंने तालाब में जाकर डूब जाने का मन बना लिया। यह निर्णय होते ही वे सभी तालाब की ओर चल पड़े।
वे जिस तालाब पर पहुँचे, वहाँ कई मेंढक रहते थे। वे सभी उस समय तालाब के किनारे बैठकर आराम कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने खरगोशों के कदमों की आहट सुनी, वे सभी तालाब में कूद गये।
तालाब में कूदकर अपने प्राण देने गए खरगोश मेंढकों को देखकर रुक गये।
एक खरगोश बोला, “मित्रों! देखा तुम लोगों ने। ये मेंढक हमसे डरकर पानी में कूद गये। इसका अर्थ समझे। इसका अर्थ ये है कि इस संसार में हमसे भी छोटे और निरीह प्राणी हैं। वे हमारा मुकाबला नहीं कर सकते, वे हमसे डरते हैं। लेकिन फिर भी वे अपना जीवन जी रहे हैं, तो हमें प्राण त्यागने की क्या आवश्यकता है। हमें निराश नहीं होना चाहिए। जब ये जी सकते हैं, तो हम भी जी सकते हैं।”
सभी खरगोश इस बात पर सहमत हो गये और जीवन त्यागने जा विचार त्याग कर वापस लौट गये।
सीख (Moral Of The Story)
विपत्ति में कई बार हमें ऐसा लगता है कि संसार का सारा दु:ख हमें ही मिला है। किंतु वास्तविकता यह है कि संसार में हमसे कहीं अधिक दुखी लोग हैं। उनसे तुलना करें, तो हम स्वयं को अच्छी दशा में ही पायेंगे। इसलिए जीवन से निराश न होकर हर विपत्ति का सामना कर जीवन जीना चाहिए।”
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एक बार कुछ जंगली कुत्ते खरगोशों के एक झुंड का पीछा कर रहे थे। सभी खरगोश अपनी जान बचाने के लिए अंधाधुंध भागे जा रहे थे। किसी तरह वे जंगली कुत्तों का शिकार बनने से बच सके और एक सूखी झाड़ी के पीछे जा छुपे।
भागने के कारण सभी थके हुए थे, जान पर बन आने के कारण डरे हुए थे और अपने जीवन के बारे में सोच कर दु:खी थे। कुछ देर गहरी सांस लेकर जब वे सामान्य हुए, तो अपनी स्थिति पर चर्चा करने लगे।
एक खरगोश बोला, “मित्रों! क्या जीवन मिला है हमको! हम कितने छोटे, तुच्छ और निरीह प्राणी हैं। न हमारे पास हिरण के जैसे सींग है, न बिल्ली के जैसे तेज पंजे। शत्रु पीछे पड़ जाए, तो भागने के सिवाय हमारे पास कोई चारा नहीं रहता। ईश्वर ने घोर अन्याय किया है, हमारे साथ। संसार की सारी विपदा हमारे सिर डाल दी है।”
दूसरा खरगोश बोला, “सच कहते हो मित्र! हर समय प्राणों का संकट मंडराता रहता है। ऐसे भयपूर्ण जीवन से मैं बड़ा दुखी हूँ। जीवनलीला समाप्त करने का मन करता है।”
तीसरा खरगोश बोला, “मेरा मन भी करता है कि मर जाऊं। मैं अभी जाकर तालाब में कूद जाऊंगा।”
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सारे खरगोश अपनी जीवन लीला समाप्त करने पर उतारू हो गए और उन्होंने तालाब में जाकर डूब जाने का मन बना लिया। यह निर्णय होते ही वे सभी तालाब की ओर चल पड़े।
वे जिस तालाब पर पहुँचे, वहाँ कई मेंढक रहते थे। वे सभी उस समय तालाब के किनारे बैठकर आराम कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने खरगोशों के कदमों की आहट सुनी, वे सभी तालाब में कूद गये।
तालाब में कूदकर अपने प्राण देने गए खरगोश मेंढकों को देखकर रुक गये।
एक खरगोश बोला, “मित्रों! देखा तुम लोगों ने। ये मेंढक हमसे डरकर पानी में कूद गये। इसका अर्थ समझे। इसका अर्थ ये है कि इस संसार में हमसे भी छोटे और निरीह प्राणी हैं। वे हमारा मुकाबला नहीं कर सकते, वे हमसे डरते हैं। लेकिन फिर भी वे अपना जीवन जी रहे हैं, तो हमें प्राण त्यागने की क्या आवश्यकता है। हमें निराश नहीं होना चाहिए। जब ये जी सकते हैं, तो हम भी जी सकते हैं।”
सभी खरगोश इस बात पर सहमत हो गये और जीवन त्यागने जा विचार त्याग कर वापस लौट गये।
सीख (Moral Of The Story)
विपत्ति में कई बार हमें ऐसा लगता है कि संसार का सारा दु:ख हमें ही मिला है। किंतु वास्तविकता यह है कि संसार में हमसे कहीं अधिक दुखी लोग हैं। उनसे तुलना करें, तो हम स्वयं को अच्छी दशा में ही पायेंगे। इसलिए जीवन से निराश न होकर हर विपत्ति का सामना कर जीवन जीना चाहिए।”
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