नीलकण्ठाय नमः | नीले कंठ वाले भगवान शिव को समर्पित एक दिव्य श्लोक | शिव भक्ति #mahadev #reels
इस मंत्र का अर्थ है — "नीले कंठ वाले भगवान शिव को नमस्कार।"
यह मंत्र भगवान शिव के एक विशेष रूप "नीलकण्ठ" को समर्पित है। समुद्र मंथन के समय, जब समुद्र से विष (हलाहल) निकला, तो सारा संसार संकट में पड़ गया। देवता और असुर उस विष से भयभीत हो उठे। तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा हेतु वह घातक विष स्वयं पी लिया। उन्होंने उसे अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे "नीलकण्ठ" कहलाए।
💠 नीलकण्ठ का प्रतीकात्मक अर्थ:
नीला रंग गहराई, रहस्य और विष को दर्शाता है।
शिव का नीलकंठ रूप इस बात का प्रतीक है कि वे संसार के सारे दुःखों और जहर को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं ताकि ब्रह्मांड में शांति बनी रहे।
यह रूप आत्म-बलिदान और त्याग की पराकाष्ठा है।
🌺 शिव के नीलकण्ठ रूप की महिमा:
नीलकण्ठ भगवान शिव का अत्यंत करुणामयी और रक्षक रूप है। इस रूप की पूजा करने से साधक के जीवन से नकारात्मकता, भय और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव के इस रूप का ध्यान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है, और साधक में विषमताओं को सहने की शक्ति आती है।
🔱 शिव पुराण में वर्णित है:
"जो भक्त नीलकण्ठ का स्मरण करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शुद्धता आती है।"
🕉️ शिव ध्यान के लिए उपयुक्त अवसर:
सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि के दिन नीलकण्ठ रूप का विशेष ध्यान और जप फलदायी होता है।
हर रोज सुबह यह मंत्र "नीलकण्ठाय नमः" का जप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
📿 मंत्र जाप विधि:
शांत मन से बैठें और भगवान शिव का ध्यान करें।
108 बार “नीलकण्ठाय नमः” मंत्र का जाप करें।
बेलपत्र, गंगाजल, और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें।
यह मंत्र जाप नकारात्मकता को समाप्त करता है और मन को एकाग्र करता है।
📖 शिव से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
शिव त्रिनेत्रधारी हैं – उनका तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक है।
वे भोलेनाथ हैं – थोड़े प्रयास से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
उनका वाहन नंदी है, जो धर्म का प्रतीक है।
वे डमरू और त्रिशूल धारण करते हैं, जो ब्रह्मांडीय ध्वनि और शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उनका स्वरूप ध्यान, योग और संयम का प्रतीक है।
🌌 नीलकण्ठ की उपासना से लाभ:
✅ मानसिक शांति
✅ नकारात्मकता का नाश
✅ जीवन में विषमता सहन करने की शक्ति
✅ आंतरिक स्थिरता और आध्यात्मिक जागरण
✅ भूत-प्रेत बाधा से रक्षा
✅ पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति
🔔 इस वीडियो में क्या मिलेगा:
"नीलकण्ठाय नमः" मंत्र की सुंदर प्रस्तुति
मंत्र का उच्चारण, अर्थ और उसका आध्यात्मिक महत्व
भगवान शिव के नीलकण्ठ रूप की जानकारी
शुद्ध और प्रभावी मंत्र जाप
📢 आपसे निवेदन:
अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं, तो इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करें।
आपके एक लाइक से यह दिव्य ज्ञान अधिक लोगों तक पहुँच सकता है।
📝 कमेंट में जरूर लिखें:
"हर हर महादेव" अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं। 🙏
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Видео नीलकण्ठाय नमः | नीले कंठ वाले भगवान शिव को समर्पित एक दिव्य श्लोक | शिव भक्ति #mahadev #reels канала दिव्यध्वनि
यह मंत्र भगवान शिव के एक विशेष रूप "नीलकण्ठ" को समर्पित है। समुद्र मंथन के समय, जब समुद्र से विष (हलाहल) निकला, तो सारा संसार संकट में पड़ गया। देवता और असुर उस विष से भयभीत हो उठे। तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा हेतु वह घातक विष स्वयं पी लिया। उन्होंने उसे अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे "नीलकण्ठ" कहलाए।
💠 नीलकण्ठ का प्रतीकात्मक अर्थ:
नीला रंग गहराई, रहस्य और विष को दर्शाता है।
शिव का नीलकंठ रूप इस बात का प्रतीक है कि वे संसार के सारे दुःखों और जहर को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं ताकि ब्रह्मांड में शांति बनी रहे।
यह रूप आत्म-बलिदान और त्याग की पराकाष्ठा है।
🌺 शिव के नीलकण्ठ रूप की महिमा:
नीलकण्ठ भगवान शिव का अत्यंत करुणामयी और रक्षक रूप है। इस रूप की पूजा करने से साधक के जीवन से नकारात्मकता, भय और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव के इस रूप का ध्यान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है, और साधक में विषमताओं को सहने की शक्ति आती है।
🔱 शिव पुराण में वर्णित है:
"जो भक्त नीलकण्ठ का स्मरण करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शुद्धता आती है।"
🕉️ शिव ध्यान के लिए उपयुक्त अवसर:
सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि के दिन नीलकण्ठ रूप का विशेष ध्यान और जप फलदायी होता है।
हर रोज सुबह यह मंत्र "नीलकण्ठाय नमः" का जप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
📿 मंत्र जाप विधि:
शांत मन से बैठें और भगवान शिव का ध्यान करें।
108 बार “नीलकण्ठाय नमः” मंत्र का जाप करें।
बेलपत्र, गंगाजल, और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें।
यह मंत्र जाप नकारात्मकता को समाप्त करता है और मन को एकाग्र करता है।
📖 शिव से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
शिव त्रिनेत्रधारी हैं – उनका तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक है।
वे भोलेनाथ हैं – थोड़े प्रयास से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
उनका वाहन नंदी है, जो धर्म का प्रतीक है।
वे डमरू और त्रिशूल धारण करते हैं, जो ब्रह्मांडीय ध्वनि और शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उनका स्वरूप ध्यान, योग और संयम का प्रतीक है।
🌌 नीलकण्ठ की उपासना से लाभ:
✅ मानसिक शांति
✅ नकारात्मकता का नाश
✅ जीवन में विषमता सहन करने की शक्ति
✅ आंतरिक स्थिरता और आध्यात्मिक जागरण
✅ भूत-प्रेत बाधा से रक्षा
✅ पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति
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मंत्र का उच्चारण, अर्थ और उसका आध्यात्मिक महत्व
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27 мая 2025 г. 7:30:09
00:00:08
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