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दारू हल्दी की चमत्कारिक शक्ति:अनेक बीमारियों का एक समाधान /Daru haridra benefits

​@aloksandesh
मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज का टॉपिक है "दारूहल्दी या रसौंत की चमत्कारी शक्ति: अनेक बीमारियों का एक समाधान
दारुहरिद्रा एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे #दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई असाध्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है।
दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी या ट्री हल्‍दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है। इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।
दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, #सूजन कम करने, पीलिया, दस्‍त का इलाज करने, #मधुमेह को नियंत्रित करने, #कैंसर को रोकने, #बवासीर का इलाज करने, #मासिकधर्म की समस्‍याओं को रोकने आदि में होते हैं।
आयुर्वेदिक मतानुसार दारुहल्दी गुण में लघु , स्वाद में कटु कषाय, तिक्त तासीर में गर्म, अग्निवद्धक, पौष्टिक, रक्तशोधक, यकृत उत्तेजक, #कफ नाशक, व्रण शोधक, पीड़ा, शोथ नाशक होती है। यह ज्वर, श्वेत व रक्त प्रदर, #नेत्र रोग, #त्वचारोग , #गर्भाशय के रोग, पीलिया, पेट के कृमि, मुख रोग, #दांतों और मसूड़ों के रोग, गर्भावस्था की जी मिचलाहट आदि में गुणकारी है।
दारुहरिद्रा की तासीर
दारुहरिद्रा की तासीर गर्म होती है जिसके कारण यह हमारे पाचन तंत्र के अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य में मदद करता है। इसके अलावा दारुहरिद्रा में अन्‍य पोषक तत्‍वों और खनिज पदार्थों की भी उच्‍च मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारे शरीर को कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचाता है।
रसौत के लाभ #बवासीर के लिए
दारुहरिद्रा या रसौत के फायदे बवासीर के लिए भी होते हैं। बवासीर की समस्‍या किसी भी व्‍यक्ति के लिए बहुत ही कष्‍टदायक होती है। इसके अलावा रोगी इस बीमारी के कारण बहुत ही कमजोर हो जाता है। क्‍योंकि इस दौरान उनके शरीर में रक्‍त की कमी हो सकती है। लेकिन इस समस्‍या से बचने के लिए दारुहरिद्रा के फायदे होते हैं। दारुहरिद्रा में ब्‍लीडिंग पाइल्‍स का उपचार करने की क्षमता होती है। बवासीर रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी को मक्‍खन के साथ 40-100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए। दारुहरिद्रा के यह लाभ इसमें मौजूद एंटीआक्‍सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के कारण होते हैं। ये सभी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने और शरीर को अन्‍य प्रकार के संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।
यह आंख के संक्रमण को प्रभावी रूप से दूर कर नेत्रश्‍लेष्‍म को कम करने में मदद करती है।
दारुहरिद्रा के फायदे #मधुमेह के लिए
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो दारुहरिद्रा जड़ी बूटी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। क्‍योंकि इस पौधे के फलों में रक्‍त शर्करा को कम करने की क्षमता होती है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके शरीर में चयापचय एंजाइमों को सक्रिय करता है। जिससे आपके रक्‍त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।
#बुखार ठीक करे
जब शरीर का तापमान अधिक होता है या बुखार की संभावना होती है तो दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इस दौरान इस #जड़ीबूटी का सेवन करने से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पसीने को प्रेरित भी करता है। पसीना निकलना शरीर में तापमान को अनुकूलित करने का एक तरीका होता है। साथ ही पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद संक्रमण और विषाक्‍तता को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इस तरह से दारुहरिद्रा का उपयोग बुखार को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को दारुहरिद्रा के पौधे की छाल और जड़ की छाल को मिलाकर एक काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करें। यह बुखार को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।
#सूजन के लिए
हर्बल चिकित्सा के जानकार डॉ ,आलोक द्वारा किए गए अध्‍ययनों से पता चलता है कि सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए दारुहरिद्रा फायदेमंद होती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इस #जड़ीबूटी में एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिनके कारण यह सूजन और इससे होने वाले दर्द को प्रभावी रूप से कम कर सकता है।
अध्‍ययनों से यह भी पता चलता है कि यह #गठिया की सूजन को दूर करने में सक्षम होता है। सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए आप दारू हल्‍दी का पेस्‍ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।
दारुहरिद्रा में कैंसर के लक्षणों को कम करने की क्षमता होती है। क्‍योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीकैंसर गुण होते हैं। जिसके कारण इसका नियमित सेवन करने से पेट संबंधी कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है।
#कानों के दर्द को कम करने के लिए भी दारू हल्‍दी लाभकारी होती है। इसके अलावा यह कान से होने वाले स्राव को भी नियंत्रित कर सकती है।
पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस औषधी का नियमित सेवन किया जाना चाहिए। यह आपकी भूख को बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने में प्रभावी होती है।
कब्‍ज जैसी पेट संबंधी समस्‍या के लिए दारुहरिद्रा का इस्‍तेमाल फायदेमंद होता है।
#बुखार होने पर इसकी जड़ से बनाये गए काढ़े को इस्तेमाल करने से जल्द ही बुखार से छुटकारा मिलता है |
#दालचीनी के साथ दारू हल्दी को मिलाकर चूर्ण बना ले | इस चूर्ण को नित्य सुबह – शाम 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ उपयोग करने से महिलाओं की सफ़ेद पानी की समस्या दूर हो जाती है |
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