यह संसार झूठा है ll Aniruddhacharya Ji Maharaj ll #ytshorts #youtubeshorts #viralshort #bhaktishort
यह संसार झूठा है ll Aniruddhacharya Ji Maharaj ll #ytshorts #youtubeshorts #viralshort #bhaktishort
Description:
🌍 "यह संसार झूठा है" — यह वाणी हमें इस भौतिक संसार की सच्चाई का बोध कराती है।
अनिरुद्धाचार्य जी महाराज अपने अमृतमयी वचनों से हमें जागरूक करते हैं कि यह संसार मोह, माया और भ्रम का जाल है। सच्चा सुख केवल भगवत भक्ति में है।
🙏 हम जीवनभर जिस संसार को अपना मानते हैं, वही एक दिन हमें छोड़ देता है।
🕉️ सच्चा साथी केवल भगवान है।
🛕 आइए इस अद्भुत प्रवचन के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करें और जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझें।
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1. यह संसार अस्थायी है।
2. यह संसार मिथ्या है, सच्चा केवल परमात्मा है।
3. संसार की वस्तुएं बदलती रहती हैं।
4. धन, दौलत और पद क्षणिक हैं।
5. जो जन्मा है, उसका मरण निश्चित है।
6. संसार का सुख दुख में बदल जाता है।
7. भौतिक चीजों में तृप्ति नहीं मिलती।
8. माया से मोहित होकर आत्मा भटक जाती है।
9. भगवान की भक्ति ही सच्चा सुख देती है।
10. यह संसार मोह का जाल है।
11. सच्चा मित्र केवल भगवान है।
12. जो दिखता है, वह टिकता नहीं।
13. प्रेम भी स्वार्थ पर आधारित होता है संसार में।
14. शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है।
15. आत्मा का परम ध्येय है भगवतप्राप्ति।
16. मनुष्य जन्म दुर्लभ है, इसे व्यर्थ न गवाएं।
17. हर दिन मृत्यु की ओर बढ़ रहा है।
18. प्रभु का नाम ही जीवन का सहारा है।
19. संसार दुःखों का कारण है।
20. इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती।
21. तृष्णा बढ़ती ही जाती है।
22. भगवान का स्मरण ही शांति देता है।
23. भक्ति से ही संसार के बंधन कटते हैं।
24. झूठा अहंकार विनाश का कारण है।
25. काम, क्रोध और लोभ पतन कराते हैं।
26. साधु-संतों की संगति अमूल्य है।
27. सत्संग आत्मा को जाग्रत करता है।
28. भोग विलास आत्मा को नीचे गिराते हैं।
29. जीवन क्षणभंगुर है।
30. यह शरीर केवल भजन करने का साधन है।
31. भगवान का नाम अमर है।
32. भगवान ही सच्चा आधार हैं।
33. मोह से मुक्त हुए बिना ज्ञान नहीं।
34. सेवा ही सच्चा धर्म है।
35. पुण्य कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते।
36. पाप का फल अवश्य मिलता है।
37. आत्मा का घर भगवान का धाम है।
38. यह संसार नींद जैसा है, जागो!
39. संयम ही साधना की सीढ़ी है।
40. संतोष में ही सुख है।
41. भगवान की लीला अपरंपार है।
42. संसार की दृष्टि धुंधली है।
43. सच्चा ज्ञान गुरुकृपा से मिलता है।
44. भगवान सर्वव्यापक हैं।
45. सेवा, सुमिरन, सत्संग से जीवन सुधरता है।
46. माया का पर्दा हटाना है।
47. लोभ से मुक्ति पाना जरूरी है।
48. जीवन नश्वर है, सत्य भगवान हैं।
49. नाम स्मरण ही आत्मा की भूख है।
50. भगवान के बिना जीवन अधूरा है।
51. शरीर की चिंता नहीं, आत्मा की चिंता करो।
52. हर सांस प्रभु के लिए होनी चाहिए।
53. मृत्यु सच्चाई है, उसे न भूलो।
54. हर रिश्ता स्वार्थ से जुड़ा है।
55. परमात्मा ही निस्वार्थ प्रेम देते हैं।
56. धर्म के मार्ग पर चलना कठिन है, पर जरूरी।
57. सुख-दुख जीवन का हिस्सा हैं।
58. कष्ट हमें चेताते हैं।
59. कष्टों में भगवान याद आते हैं।
60. ईश्वर परीक्षा लेते हैं, दंड नहीं देते।
61. मन को वश में करो।
62. विचारों को पवित्र बनाओ।
63. सच्चा जीवन वही है जो प्रभु के लिए जिया जाए।
64. प्रभु का नाम मन का उपचार है।
65. प्रभु से प्रार्थना करो, मांग नहीं।
66. भीतर का अंधकार प्रभु ही दूर करते हैं।
67. सेवा और त्याग से ईश्वर प्रसन्न होते हैं।
68. धन की लालसा विनाश करती है।
69. ईर्ष्या और द्वेष से बचो।
70. सबमें भगवान को देखो।
71. आत्मा में परमात्मा का अंश है।
72. जीवन की यात्रा प्रभु तक होनी चाहिए।
73. विनम्र बनो, अहंकार छोड़ो।
74. संतोषी व्यक्ति सबसे सुखी होता है।
75. जीवन को भजनमय बनाओ।
76. तन, मन और धन से सेवा करो।
77. कर्म करो, फल की चिंता न करो।
78. सत्कर्म से ही आत्मा को शांति मिलती है।
79. जो आया है, वह जाएगा।
80. मोह और ममता संसार में बांधते हैं।
81. सच्चा त्याग भीतर से होता है।
82. जितना कम बोलो, उतना कम पछताओ।
83. मौन में भगवान मिलते हैं।
84. ध्यान में जीवन का सार है।
85. श्रद्धा से ही ईश्वर मिलते हैं।
86. आस्था डगमगानी नहीं चाहिए।
87. हर परिस्थिति में भगवान का स्मरण करें।
88. भक्ति से बंधन टूटते हैं।
89. धर्म की रक्षा ही जीवन का उद्देश्य हो।
90. श्रीमद्भागवत गीता जीवन का मार्गदर्शन है।
91. राम, कृष्ण, शिव – सब भगवान के रूप हैं।
92. साधना निरंतर करनी चाहिए।
93. गीता, रामायण जैसे ग्रंथों को पढ़ो।
94. अपने जीवन से दूसरों को प्रेरणा दो।
95. निंदा से नहीं, सेवा से भगवान मिलते हैं।
96. जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है।
97. ईश्वर के प्रति विश्वास अटल होना चाहिए।
98. असत्य को छोड़ो, सत्य को अपनाओ।
99. सत्संग आत्मा का भोजन है।
100. जीवन का सार: “यह संसार झूठा है, भगवान ही सत्य हैं।”
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अनिरुद्धाचार्य जी महाराज अपने अमृतमयी वचनों से हमें जागरूक करते हैं कि यह संसार मोह, माया और भ्रम का जाल है। सच्चा सुख केवल भगवत भक्ति में है।
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1. यह संसार अस्थायी है।
2. यह संसार मिथ्या है, सच्चा केवल परमात्मा है।
3. संसार की वस्तुएं बदलती रहती हैं।
4. धन, दौलत और पद क्षणिक हैं।
5. जो जन्मा है, उसका मरण निश्चित है।
6. संसार का सुख दुख में बदल जाता है।
7. भौतिक चीजों में तृप्ति नहीं मिलती।
8. माया से मोहित होकर आत्मा भटक जाती है।
9. भगवान की भक्ति ही सच्चा सुख देती है।
10. यह संसार मोह का जाल है।
11. सच्चा मित्र केवल भगवान है।
12. जो दिखता है, वह टिकता नहीं।
13. प्रेम भी स्वार्थ पर आधारित होता है संसार में।
14. शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है।
15. आत्मा का परम ध्येय है भगवतप्राप्ति।
16. मनुष्य जन्म दुर्लभ है, इसे व्यर्थ न गवाएं।
17. हर दिन मृत्यु की ओर बढ़ रहा है।
18. प्रभु का नाम ही जीवन का सहारा है।
19. संसार दुःखों का कारण है।
20. इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती।
21. तृष्णा बढ़ती ही जाती है।
22. भगवान का स्मरण ही शांति देता है।
23. भक्ति से ही संसार के बंधन कटते हैं।
24. झूठा अहंकार विनाश का कारण है।
25. काम, क्रोध और लोभ पतन कराते हैं।
26. साधु-संतों की संगति अमूल्य है।
27. सत्संग आत्मा को जाग्रत करता है।
28. भोग विलास आत्मा को नीचे गिराते हैं।
29. जीवन क्षणभंगुर है।
30. यह शरीर केवल भजन करने का साधन है।
31. भगवान का नाम अमर है।
32. भगवान ही सच्चा आधार हैं।
33. मोह से मुक्त हुए बिना ज्ञान नहीं।
34. सेवा ही सच्चा धर्म है।
35. पुण्य कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते।
36. पाप का फल अवश्य मिलता है।
37. आत्मा का घर भगवान का धाम है।
38. यह संसार नींद जैसा है, जागो!
39. संयम ही साधना की सीढ़ी है।
40. संतोष में ही सुख है।
41. भगवान की लीला अपरंपार है।
42. संसार की दृष्टि धुंधली है।
43. सच्चा ज्ञान गुरुकृपा से मिलता है।
44. भगवान सर्वव्यापक हैं।
45. सेवा, सुमिरन, सत्संग से जीवन सुधरता है।
46. माया का पर्दा हटाना है।
47. लोभ से मुक्ति पाना जरूरी है।
48. जीवन नश्वर है, सत्य भगवान हैं।
49. नाम स्मरण ही आत्मा की भूख है।
50. भगवान के बिना जीवन अधूरा है।
51. शरीर की चिंता नहीं, आत्मा की चिंता करो।
52. हर सांस प्रभु के लिए होनी चाहिए।
53. मृत्यु सच्चाई है, उसे न भूलो।
54. हर रिश्ता स्वार्थ से जुड़ा है।
55. परमात्मा ही निस्वार्थ प्रेम देते हैं।
56. धर्म के मार्ग पर चलना कठिन है, पर जरूरी।
57. सुख-दुख जीवन का हिस्सा हैं।
58. कष्ट हमें चेताते हैं।
59. कष्टों में भगवान याद आते हैं।
60. ईश्वर परीक्षा लेते हैं, दंड नहीं देते।
61. मन को वश में करो।
62. विचारों को पवित्र बनाओ।
63. सच्चा जीवन वही है जो प्रभु के लिए जिया जाए।
64. प्रभु का नाम मन का उपचार है।
65. प्रभु से प्रार्थना करो, मांग नहीं।
66. भीतर का अंधकार प्रभु ही दूर करते हैं।
67. सेवा और त्याग से ईश्वर प्रसन्न होते हैं।
68. धन की लालसा विनाश करती है।
69. ईर्ष्या और द्वेष से बचो।
70. सबमें भगवान को देखो।
71. आत्मा में परमात्मा का अंश है।
72. जीवन की यात्रा प्रभु तक होनी चाहिए।
73. विनम्र बनो, अहंकार छोड़ो।
74. संतोषी व्यक्ति सबसे सुखी होता है।
75. जीवन को भजनमय बनाओ।
76. तन, मन और धन से सेवा करो।
77. कर्म करो, फल की चिंता न करो।
78. सत्कर्म से ही आत्मा को शांति मिलती है।
79. जो आया है, वह जाएगा।
80. मोह और ममता संसार में बांधते हैं।
81. सच्चा त्याग भीतर से होता है।
82. जितना कम बोलो, उतना कम पछताओ।
83. मौन में भगवान मिलते हैं।
84. ध्यान में जीवन का सार है।
85. श्रद्धा से ही ईश्वर मिलते हैं।
86. आस्था डगमगानी नहीं चाहिए।
87. हर परिस्थिति में भगवान का स्मरण करें।
88. भक्ति से बंधन टूटते हैं।
89. धर्म की रक्षा ही जीवन का उद्देश्य हो।
90. श्रीमद्भागवत गीता जीवन का मार्गदर्शन है।
91. राम, कृष्ण, शिव – सब भगवान के रूप हैं।
92. साधना निरंतर करनी चाहिए।
93. गीता, रामायण जैसे ग्रंथों को पढ़ो।
94. अपने जीवन से दूसरों को प्रेरणा दो।
95. निंदा से नहीं, सेवा से भगवान मिलते हैं।
96. जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है।
97. ईश्वर के प्रति विश्वास अटल होना चाहिए।
98. असत्य को छोड़ो, सत्य को अपनाओ।
99. सत्संग आत्मा का भोजन है।
100. जीवन का सार: “यह संसार झूठा है, भगवान ही सत्य हैं।”
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6 июня 2025 г. 6:00:10
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