नवार्ण मन्त्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे (Navarna Mantra- 3 Hr) - Anuradha Paudwal
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नवार्ण मन्त्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे (Navarna Mantra- 3 Hr) - Anuradha Paudwal
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"जय जय श्री राम"
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नवार्ण मन्त्र :-
नवार्ण अर्थात् नौ वर्णो वाले इस मंत्र के जाप से सभी नौ ग्रह नियंत्रित होकर साधक को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करते हैं। साधक केवल एक मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' का नौ दिनों तक जाप करे तो नौ ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकता है। इससे होता यह है किआपकी कुंडली में बुरे प्रभाव दे रहा ग्रह भी अनुकूल हो जाता है और उसका शुभ प्रभाव आपको मिलने लगता है।
नवार्ण मन्त्र में तीन बीज मन्त्र
मां दुर्गा के तीन चरित्र हैं। प्रथम चरित्र में दुर्गा का महाकाली रूप है। मध्यम चरित्र में महालक्ष्मी तथा उत्तर चरित्र में वह महासरस्वती हैं। इन तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र में तीन बीज मन्त्र हैं-
'ऐं'-यह सरस्वती बीज है। 'ऐ' का अर्थ सरस्वती है और 'बिन्दु' का अर्थ है दु:खनाशक। अर्थात् सरस्वती हमारे दु:ख को दूर करें।
'ह्रीं'-भुवनेश्वरी बीज है और महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है।
'क्लीं'-यह कृष्णबीज, कालीबीज एवं कामबीज माना गया है।
नवार्ण मन्त्र का भावार्थ
'हे चित्स्वरूपिणी महासरस्वती! हे सद्रूपिणी महालक्ष्मी! हे आनन्दरूपिणी महाकाली! ब्रह्मविद्या पाने के लिए हम हर समय तुम्हारा ध्यान करते हैं। हे महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वतीस्वरूपिणी चण्डिके! तुम्हे नमस्कार है। अविद्यारूपी रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि खोलकर मुझे मुक्त करो।'
सरल शब्दों में-महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नामक तीन रूपों में सच्चिदानन्दमयी आदिशक्ति योगमाया को हम अविद्या (मन की चंचलता और विक्षेप) दूरकर प्राप्त करें।
मन्त्र के ऋषि, छन्द, देवता, शक्तियां एवं विनियोग
ब्रह्मा, विष्णु और शिव इस मन्त्र के ऋषि कहे गए हैं। गायत्री, उष्णिक और अनुष्टुप्-ये तीनों इस मन्त्र के छन्द हैं। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती-इस मन्त्र की देवता हैं। रक्तदन्तिका, दुर्गा तथा भ्रामरी-इस मन्त्र के बीज हैं। नन्दा, शाकम्भरी और भीमा-ये इस मन्त्र की शक्तियां कही गयी हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस मन्त्र का विनियोग किया जाता है।
नवार्ण मन्त्र के जप का फल
नमामि त्वां महादेवीं महाभयविनाशिनीम्।
महादुर्गप्रशमनीं महाकारुण्यरूपिणीम्।। (श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्)
अर्थात्-महाभय का नाश करने वाली, महासंकट को शान्त करने वाली और महान करुणा की मूर्ति तुम महादेवी को मैं नमस्कार करता हूँ।
यह मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। नवार्णमन्त्र ▪️उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। दुर्गा के तीन चरित्रों में ▪️महाकाली की आराधना से माया-मोह एवं वितृष्णा का नाश होता है।
महालक्ष्मी सभी प्रकार के वैभवों से परिपूर्ण कर बुराई से लड़ने की शक्ति देती हैं तथा महासरस्वती किसी भी संकट से जूझकर पार उतरने वाली बुद्धि और विद्या प्रदान करती हैं।
नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की सभी शक्तियां समायी हुई है, जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है। नवार्ण मन्त्र के जप और मां दुर्गा की आराधना से सभी अनिष्ट ग्रह शान्त हो जाते हैं और मनुष्यों की सभी दारुण बाधाएं भी शान्त हो जाती हैं।
नवार्ण साधना का मूलमंत्र है
" ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे "
कुल मंत्र जाप 1200 माला ( 1,25,000 मंत्र संख्या )
प्रत्येक दिन जाप की संख्या बराबर हो तो अच्छा रहेगा
जिसने दीक्षा ले रखी है वो बिना ऊँ लगाये ही जाप कर सकते है और जिनकी दीक्षा नहीं हुई वो " ऊँ " लगाकर ही जाप करें
३३. जब जप खत्म हो जाये तो ये मंत्र पढकर जप को पूर्ण रुप से स्वयं को और मंत्र को भी अर्पित करें ..........
" ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः ...... समस्त आवरण देवताभ्यो नमः ......... मनसा परिकल्पय पंचोपचार पूजनं समर्पयामि
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले l भक्त्या समर्पये तुभ्यं समस्त आवरण अर्चनम् ll
ऊँ सम्पूजिताः सन्तर्पिताः सन्तु "
जल यंत्र पर अर्पण करें .
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Видео नवार्ण मन्त्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे (Navarna Mantra- 3 Hr) - Anuradha Paudwal канала Dev Bhakti Sangam
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नवार्ण मन्त्र में तीन बीज मन्त्र
मां दुर्गा के तीन चरित्र हैं। प्रथम चरित्र में दुर्गा का महाकाली रूप है। मध्यम चरित्र में महालक्ष्मी तथा उत्तर चरित्र में वह महासरस्वती हैं। इन तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र में तीन बीज मन्त्र हैं-
'ऐं'-यह सरस्वती बीज है। 'ऐ' का अर्थ सरस्वती है और 'बिन्दु' का अर्थ है दु:खनाशक। अर्थात् सरस्वती हमारे दु:ख को दूर करें।
'ह्रीं'-भुवनेश्वरी बीज है और महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है।
'क्लीं'-यह कृष्णबीज, कालीबीज एवं कामबीज माना गया है।
नवार्ण मन्त्र का भावार्थ
'हे चित्स्वरूपिणी महासरस्वती! हे सद्रूपिणी महालक्ष्मी! हे आनन्दरूपिणी महाकाली! ब्रह्मविद्या पाने के लिए हम हर समय तुम्हारा ध्यान करते हैं। हे महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वतीस्वरूपिणी चण्डिके! तुम्हे नमस्कार है। अविद्यारूपी रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि खोलकर मुझे मुक्त करो।'
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मन्त्र के ऋषि, छन्द, देवता, शक्तियां एवं विनियोग
ब्रह्मा, विष्णु और शिव इस मन्त्र के ऋषि कहे गए हैं। गायत्री, उष्णिक और अनुष्टुप्-ये तीनों इस मन्त्र के छन्द हैं। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती-इस मन्त्र की देवता हैं। रक्तदन्तिका, दुर्गा तथा भ्रामरी-इस मन्त्र के बीज हैं। नन्दा, शाकम्भरी और भीमा-ये इस मन्त्र की शक्तियां कही गयी हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस मन्त्र का विनियोग किया जाता है।
नवार्ण मन्त्र के जप का फल
नमामि त्वां महादेवीं महाभयविनाशिनीम्।
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अर्थात्-महाभय का नाश करने वाली, महासंकट को शान्त करने वाली और महान करुणा की मूर्ति तुम महादेवी को मैं नमस्कार करता हूँ।
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नवार्ण साधना का मूलमंत्र है
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प्रत्येक दिन जाप की संख्या बराबर हो तो अच्छा रहेगा
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३३. जब जप खत्म हो जाये तो ये मंत्र पढकर जप को पूर्ण रुप से स्वयं को और मंत्र को भी अर्पित करें ..........
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