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लद्दाख की ओर फिर बढ़ रहे हैं चीन के क़दम?

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की कवरेज और लद्दाख में चीन के दावों की कवरेज में क्या कोई समानता हो सकती है? हमने आज के अख़बारों का विश्लेषण किया तो ऐसा ही कुछ नज़र आया। आपकी आँखों के सामने से ख़बर ग़ायब कर दी जाती है और आपको पता भी नहीं चलता है। चीन मामले को लेकर कुछ महीने पहले माहौल बनाया जा रहा था कि सब कुछ सुलझ गया है। मगर आज चीन के दावों ने उन ख़बरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोदी मीडिया का हाथ पकड़कर आप जाएँगे भी कहाँ। जो पत्रकार जान का जोखिम लेकर पत्रकारिता कर रहे हैं उनकी तरफ़ देखिए। उनके लिए कौन आवाज़ उठा रहा है? क्या यह शर्मसार होने वाली बात नहीं है कि एक पत्रकार की हत्या कर दी गई और इस घटना का ठीक से कवरेज तक नहीं?

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Видео लद्दाख की ओर फिर बढ़ रहे हैं चीन के क़दम? канала Ravish Kumar Official
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