रावण दरबार में हनुमान | हनुमान द्वारा लंका दहन | रामायण | दिव्य कथाएँ
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0
लंका की राजसभा में मेघनाद द्वारा बेड़ियों से जकड़ कर लाए गए हनुमान जी को रावण अपनी वीरता का बख़ान कर डराने का प्रयास करता है। जिस पर हनुमान जी उसे सहस्त्राबाहु से युद्ध में उसकी पराजय, बाली द्वारा उसे छह माह काँख में दबाए रखने बात बताने के साथ सीता जी के छल से हरण करने पर रावण का उपहास उड़ाते है। जिसे सुन रावण क्रोधित होकर हनुमान जी की जिव्हा काट देने का आदेश देते है। मंत्री प्रहस्त कही किसी षणयंत्र के तहत उसे देवताओं या विष्णु नें भेजा हो, यह जाने बिना हनुमान जी हनुमान की जिव्हा काटने से रोक देते है। इस पर हनुमान जी स्वयं अपना परिचय पवन देव के औरस पुत्र और श्रीराम के दूत के रूप में देते है, जो सीता जी की खोज के लिए आया है। वह रावण को सीता को ससम्मान लौटाने के साथ श्रीराम की शरण में जाने के लिए कहते है। मंत्रीगण द्वारा दूत का वध न करके उसके अंगभंग करने का सुझाव पर क्रोधित रावण हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने का आदेश देता है। सैनिकों द्वारा पूँछ में तेल से भीगा कपड़ा लगाने पर हनुमान जी अपनी पूँछ को बड़ा करने लगते है और पूँछ पर आग लगते है बेड़ियों को तोड़ते हुए हवा में उड़ते हुए रावण के सोने के महल में आग लगा देते है, जिससे सारी लंका धू-धू कर जलने लगती है। हनुमान जी समुद्र के जल से अपनी जलती पूँछ को बुझाते हैं।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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Видео रावण दरबार में हनुमान | हनुमान द्वारा लंका दहन | रामायण | दिव्य कथाएँ канала Tilak
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लंका की राजसभा में मेघनाद द्वारा बेड़ियों से जकड़ कर लाए गए हनुमान जी को रावण अपनी वीरता का बख़ान कर डराने का प्रयास करता है। जिस पर हनुमान जी उसे सहस्त्राबाहु से युद्ध में उसकी पराजय, बाली द्वारा उसे छह माह काँख में दबाए रखने बात बताने के साथ सीता जी के छल से हरण करने पर रावण का उपहास उड़ाते है। जिसे सुन रावण क्रोधित होकर हनुमान जी की जिव्हा काट देने का आदेश देते है। मंत्री प्रहस्त कही किसी षणयंत्र के तहत उसे देवताओं या विष्णु नें भेजा हो, यह जाने बिना हनुमान जी हनुमान की जिव्हा काटने से रोक देते है। इस पर हनुमान जी स्वयं अपना परिचय पवन देव के औरस पुत्र और श्रीराम के दूत के रूप में देते है, जो सीता जी की खोज के लिए आया है। वह रावण को सीता को ससम्मान लौटाने के साथ श्रीराम की शरण में जाने के लिए कहते है। मंत्रीगण द्वारा दूत का वध न करके उसके अंगभंग करने का सुझाव पर क्रोधित रावण हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने का आदेश देता है। सैनिकों द्वारा पूँछ में तेल से भीगा कपड़ा लगाने पर हनुमान जी अपनी पूँछ को बड़ा करने लगते है और पूँछ पर आग लगते है बेड़ियों को तोड़ते हुए हवा में उड़ते हुए रावण के सोने के महल में आग लगा देते है, जिससे सारी लंका धू-धू कर जलने लगती है। हनुमान जी समुद्र के जल से अपनी जलती पूँछ को बुझाते हैं।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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