गिर गया कानपुर-उन्नाव का अंग्रेजों का बनाया ऐतिहासिक गंगा पुल/Colapsed Ganga bridge By: Vlogpress
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कानपुर और उन्नाव के बीच शुक्लागंज में गंगा नदी पर ब्रिटिश काल में बने इस पुराने ऐतिहासिक पुल का 30 मीटर लंबा स्पैन यानी दो पिलर के बीच का हिस्सा 26 नवम्बर की सुबह अचानक गिर गया। भारत में अंग्रेजी हुकूमत की निशानी ये पुल 149 वर्ष पहले साल 1875 में अंग्रेज इंजीनियरों की देखरेख में ब्रिटिश शासन काल में बनवाया गया था।
साल 2021 में ही कानपुर की तरफ से पिलर नंबर 2, 7, 9, 10 और 22 में बड़ी दरारें आ गई थीं। वाहनों के आवागमन के दौरान पिलर की कंक्रीट टूटकर गिरने लगी थी। इस पर पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट पर पांच अप्रैल 2021 को इस पर से आवागमन बंद कर दिया गया था। कानपुर और उन्नाव जिला प्रशासन ने प्रवेश रोकने के लिए दोनों तरफ पक्की दीवार बना दी थी।
यह पुल दो मंजिला है इसके ऊपर के तल पर वाहन और नीचे के तल पर पैदल राहगीर और साइकिल सवार आवागमन करते थे।
ये ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक पुल अब सिर्फ यादों में रह जाएगा। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ में रहने वाले लोगों की तमाम यादें इस पुल से जुड़ी हुई हैं।
गर्मी के दिनों में तमाम सारे लोग तो इस पुल के निचले हिस्से में बहुत देर तक बैठे रहते थे और गंगाजल को छूकर आने वाली शीतल समीर का सुखद आनंद लिया करते थे। काश इस ऐतिहासिक धरोहर को समय रहते संरक्षित किया जाता। इस पुल के ऊपर से कौन-कौन गुजारा है और कौन-कौन चाहता है कि अभी भी इसे बचाए जाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। और इसे एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। आप जरूर बताएं।
दैनिक अखबार अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक
कानपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने एक साल पहले दिल्ली के इंजीनियरों से उच्चस्तरीय तकनीकी जांच भी कराई थी। तकनीकी टीम ने पुल को दो पहिया वाहनों, रिक्शा व इसी तरह के अन्य हल्के वाहनों के चलने लायक बनाने के लिए मरम्मत की बात कही थी और 29.50 करोड़ रुपये का खर्च बताया था। परंतु अफसोस की विभाग ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। और मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
खबरों के मुताबिक
पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने की तैयारी थी
कानपुर की ओर से पुल को खोलकर पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही थी, लेकिन इस काम में देरी हुई और पुल गिर गया।
चलिए जान लेते हैं क्या है इस ब्रिटिश कालीन पुल का इतिहास।
ब्रिटिशकाल में कानपुर से लखनऊ के बीच अंग्रेजों ने पक्की सड़क का निर्माण करवाया था। गजेटियर के अनुसार, कानपुर और शुक्लागंज के बीच गंगा नदी पर पुल का निर्माण साल 1875 में उस समय की अवध एंड रुहेलखंड कंपनी द्वारा करवाया गया था।
इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई वेडगार्ड की देखरेख में इस 800 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया था। यह पुल कंक्रीट, मजबूत लोहे और लकड़ी की मदद से बना हुआ है। इसके निचले तल की फर्श में लकड़ी के मोटे-मोटे पटरे लगे हुए हैं। पुल की उम्र 100 वर्ष बताई गई थी। 146 वर्ष तक यह पूरी तरह से प्रयोग में रहा। 149 साल बाद इस पुल के गिरने से इस ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान हुआ है।
क्या थी इस पुल की खासियत।
ब्रिटिश इंजीनियरों ने इस पुल को ईंटों से बने पिलर्स के ऊपर लोहे के मोटे एंगल से बनाया था। यह पुल दो तल का है। उस समय अंग्रेजों ने इसके निचले तल को पैदल आवागमन के लिए बनाया और ऊपरी तल से बग्घी, बैलगाड़ी और अंग्रेज अधिकारियों के वाहनों का आवागमन होता था। बाद में निचले हिस्से से पैदल और साइकिल सवारों को रास्ता दिया गया । और ऊपर से कार, टैक्सी, रिक्शा कर आदि सभी वाहनों का आवागमन होने लगा।
साल 1875 में बने इस पुल का 1979 में जीर्णोद्धार भी कराया गया था।
इस पुल के पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी आने वाली पीढ़ियां हमारी इस वीडियो के जरिए इस ऐतिहासिक पुल को देख सकेंगी।
शुक्रिया
Thanks for watching.
Видео गिर गया कानपुर-उन्नाव का अंग्रेजों का बनाया ऐतिहासिक गंगा पुल/Colapsed Ganga bridge By: Vlogpress канала Vlogpress
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साल 2021 में ही कानपुर की तरफ से पिलर नंबर 2, 7, 9, 10 और 22 में बड़ी दरारें आ गई थीं। वाहनों के आवागमन के दौरान पिलर की कंक्रीट टूटकर गिरने लगी थी। इस पर पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट पर पांच अप्रैल 2021 को इस पर से आवागमन बंद कर दिया गया था। कानपुर और उन्नाव जिला प्रशासन ने प्रवेश रोकने के लिए दोनों तरफ पक्की दीवार बना दी थी।
यह पुल दो मंजिला है इसके ऊपर के तल पर वाहन और नीचे के तल पर पैदल राहगीर और साइकिल सवार आवागमन करते थे।
ये ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक पुल अब सिर्फ यादों में रह जाएगा। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ में रहने वाले लोगों की तमाम यादें इस पुल से जुड़ी हुई हैं।
गर्मी के दिनों में तमाम सारे लोग तो इस पुल के निचले हिस्से में बहुत देर तक बैठे रहते थे और गंगाजल को छूकर आने वाली शीतल समीर का सुखद आनंद लिया करते थे। काश इस ऐतिहासिक धरोहर को समय रहते संरक्षित किया जाता। इस पुल के ऊपर से कौन-कौन गुजारा है और कौन-कौन चाहता है कि अभी भी इसे बचाए जाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। और इसे एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। आप जरूर बताएं।
दैनिक अखबार अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक
कानपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने एक साल पहले दिल्ली के इंजीनियरों से उच्चस्तरीय तकनीकी जांच भी कराई थी। तकनीकी टीम ने पुल को दो पहिया वाहनों, रिक्शा व इसी तरह के अन्य हल्के वाहनों के चलने लायक बनाने के लिए मरम्मत की बात कही थी और 29.50 करोड़ रुपये का खर्च बताया था। परंतु अफसोस की विभाग ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। और मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
खबरों के मुताबिक
पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने की तैयारी थी
कानपुर की ओर से पुल को खोलकर पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही थी, लेकिन इस काम में देरी हुई और पुल गिर गया।
चलिए जान लेते हैं क्या है इस ब्रिटिश कालीन पुल का इतिहास।
ब्रिटिशकाल में कानपुर से लखनऊ के बीच अंग्रेजों ने पक्की सड़क का निर्माण करवाया था। गजेटियर के अनुसार, कानपुर और शुक्लागंज के बीच गंगा नदी पर पुल का निर्माण साल 1875 में उस समय की अवध एंड रुहेलखंड कंपनी द्वारा करवाया गया था।
इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई वेडगार्ड की देखरेख में इस 800 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया था। यह पुल कंक्रीट, मजबूत लोहे और लकड़ी की मदद से बना हुआ है। इसके निचले तल की फर्श में लकड़ी के मोटे-मोटे पटरे लगे हुए हैं। पुल की उम्र 100 वर्ष बताई गई थी। 146 वर्ष तक यह पूरी तरह से प्रयोग में रहा। 149 साल बाद इस पुल के गिरने से इस ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान हुआ है।
क्या थी इस पुल की खासियत।
ब्रिटिश इंजीनियरों ने इस पुल को ईंटों से बने पिलर्स के ऊपर लोहे के मोटे एंगल से बनाया था। यह पुल दो तल का है। उस समय अंग्रेजों ने इसके निचले तल को पैदल आवागमन के लिए बनाया और ऊपरी तल से बग्घी, बैलगाड़ी और अंग्रेज अधिकारियों के वाहनों का आवागमन होता था। बाद में निचले हिस्से से पैदल और साइकिल सवारों को रास्ता दिया गया । और ऊपर से कार, टैक्सी, रिक्शा कर आदि सभी वाहनों का आवागमन होने लगा।
साल 1875 में बने इस पुल का 1979 में जीर्णोद्धार भी कराया गया था।
इस पुल के पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी आने वाली पीढ़ियां हमारी इस वीडियो के जरिए इस ऐतिहासिक पुल को देख सकेंगी।
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Информация о видео
30 ноября 2024 г. 10:35:30
00:04:11
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