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#शनि गायत्री मंत्र | 'ॐ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्'. |

शनि गायत्री मंत्र है, 'ॐ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्'.
शनि देव से जुड़े कुछ और मंत्र:
शनि बीज मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि स्तोत्र - ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम । छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि पीड़ाहर स्तोत्र - सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: । दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।। तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
शनि का वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः
शनि दोष निवारण मंत्र - ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
सामान्य मंत्र - ॐ शं शनैश्चराय नमः
शनि गायत्री मंत्र के बोल:
ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मंदः प्रचोदयात
शनि गायत्री मंत्र का भावार्थ:
ॐ मैं उसका ध्यान करता हूँ जिसके ध्वज में कौआ है
ऊँ जिसके हाथ में तलवार है, वह मुझे उच्च बुद्धि दे
और सनेश्वर मेरे मन को प्रकाशित करे

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