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📚 आज का टॉपिक: प्रयोजनवाद एवं मार्क्सवाद | Pragmatism & Marxism
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✅ प्रयोजनवाद (Pragmatism) की अवधारणा और इसके प्रमुख दार्शनिक
✅ मार्क्सवाद (Marxism) का शैक्षिक दृष्टिकोण और इसकी व्यावहारिक उपयोगिता
✅ दोनों सिद्धांतों की तुलनात्मक व्याख्या
✅ UGC NET, CTET, STET, एवं अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
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प्रयोजनवाद एवं मार्क्सवाद (Prayojanvaad evam Marksvaad) - संपूर्ण व्याख्या
परिचय
Raz Rathore Education एक प्रमुख ऑनलाइन शिक्षण मंच है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए समर्पित है। यह चैनल UGC NET, CTET, STET, रेलवे शिक्षक परीक्षा, बीपीएससी हेडमास्टर, BEO, तथा सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है। विशेष रूप से, यहाँ पर हिंदी, गणित, तर्कशक्ति, विज्ञान, इतिहास एवं शिक्षा शास्त्र जैसे विषयों पर गहन चर्चा की जाती है।
आज के इस विशेष सत्र में हम प्रयोजनवाद एवं मार्क्सवाद पर गहन अध्ययन करेंगे, जो शिक्षा शास्त्र एवं दार्शनिक विचारधाराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह विषय शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र दोनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे गहराई से समझना अनिवार्य है।
प्रयोजनवाद (Pragmatism) - एक संक्षिप्त परिचय
प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा
प्रयोजनवाद, जिसे अंग्रेजी में Pragmatism कहा जाता है, एक दार्शनिक विचारधारा है, जो यह मानती है कि किसी भी सिद्धांत या विचार की सच्चाई उसकी व्यावहारिक उपयोगिता पर निर्भर करती है। इस विचारधारा के अनुसार, किसी भी विचार, क्रिया, या नीति का मूल्यांकन उसके प्रत्यक्ष परिणामों और उपयोगिता के आधार पर किया जाता है।
प्रयोजनवाद के प्रमुख दार्शनिक
चार्ल्स सैंडर्स पियर्स (Charles Sanders Peirce) - वे प्रयोजनवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने इस विचार को तर्कशास्त्र एवं विज्ञान से जोड़ा।
विलियम जेम्स (William James) - उन्होंने प्रयोजनवाद को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया और कहा कि कोई भी विचार तभी महत्वपूर्ण है जब वह व्यवहार में उपयोगी हो।
जॉन डेवी (John Dewey) - वे प्रयोजनवादी शिक्षा दर्शन के जनक माने जाते हैं। उनका मानना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को जीवन के लिए तैयार करना है, न कि केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करना।
प्रयोजनवाद के मुख्य सिद्धांत
अनुभववाद (Experiential Learning) - विद्यार्थी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
लचीलापन (Flexibility) - शिक्षा पद्धति कठोर नहीं होनी चाहिए, बल्कि बदलते समय के अनुसार विकसित होनी चाहिए।
समस्या समाधान (Problem Solving) - शिक्षा केवल याद करने के लिए नहीं, बल्कि समस्याओं का समाधान निकालने के लिए होनी चाहिए।
लोकतांत्रिक शिक्षा (Democratic Education) - विद्यार्थी एवं शिक्षक के बीच संवाद होना चाहिए ताकि शिक्षा अधिक प्रभावी हो सके।
प्रयोजनवाद और शिक्षा
प्रयोजनवादी शिक्षा प्रणाली में कक्षा गतिविधियों पर अधिक बल दिया जाता है।
विद्यार्थियों को स्व-अन्वेषण (Self Exploration) और प्रयोग द्वारा सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है।
शिक्षक का मुख्य कार्य विद्यार्थियों को एक मार्गदर्शक के रूप में सहायता प्रदान करना होता है।
वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए शिक्षा को अनुकूलित किया जाता है।
मार्क्सवाद (Marxism) - एक संक्षिप्त परिचय
मार्क्सवाद का अर्थ एवं परिभाषा
मार्क्सवाद एक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचारधारा है, जिसे कार्ल मार्क्स (Karl Marx) और फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) ने विकसित किया था। यह विचारधारा वर्ग संघर्ष, पूंजीवाद की आलोचना, और समाजवादी समाज की स्थापना पर आधारित है। मार्क्सवाद का मुख्य उद्देश्य श्रमिक वर्ग (Proletariat) को शोषण से मुक्त कराना और एक साम्यवादी समाज की स्थापना करना है।
मार्क्सवाद के प्रमुख तत्व
ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) - इतिहास की व्याख्या आर्थिक कारकों के आधार पर की जाती है।
वर्ग संघर्ष (Class Struggle) - समाज में हमेशा दो वर्गों के बीच संघर्ष चलता है: पूंजीपति (Bourgeoisie) और श्रमिक वर्ग (Proletariat)।
मूल्य सिद्धांत (Labor Theory of Value) - किसी भी वस्तु का मूल्य उसमें लगे श्रम द्वारा निर्धारित होता है।
पूंजीवाद की आलोचना (Critique of Capitalism) - मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था श्रमिकों का शोषण करती है और केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाती है।
साम्यवाद (Communism) - एक ऐसे समाज की कल्पना की गई है, जहां संपत्ति का सामूहिकीकरण होगा और सभी लोग समान होंगे।
मार्क्सवाद और शिक्षा
शिक्षा को सामाजिक बदलाव का एक महत्वपूर्ण साधन माना गया है।
शिक्षा प्रणाली को समाज के प्रभुत्वशाली वर्ग द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इसे बदलना आवश्यक है।
मार्क्सवादी शिक्षा का लक्ष्य समानता, सामाजिक न्याय और मजदूर वर्ग की चेतना को बढ़ाना है।
सरकारी शिक्षा प्रणाली को श्रमिक वर्ग के पक्ष में संशोधित करने की आवश्यकता है।
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धन्यवाद!
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✅ मार्क्सवाद (Marxism) का शैक्षिक दृष्टिकोण और इसकी व्यावहारिक उपयोगिता
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✅ UGC NET, CTET, STET, एवं अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
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परिचय
Raz Rathore Education एक प्रमुख ऑनलाइन शिक्षण मंच है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए समर्पित है। यह चैनल UGC NET, CTET, STET, रेलवे शिक्षक परीक्षा, बीपीएससी हेडमास्टर, BEO, तथा सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है। विशेष रूप से, यहाँ पर हिंदी, गणित, तर्कशक्ति, विज्ञान, इतिहास एवं शिक्षा शास्त्र जैसे विषयों पर गहन चर्चा की जाती है।
आज के इस विशेष सत्र में हम प्रयोजनवाद एवं मार्क्सवाद पर गहन अध्ययन करेंगे, जो शिक्षा शास्त्र एवं दार्शनिक विचारधाराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह विषय शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र दोनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे गहराई से समझना अनिवार्य है।
प्रयोजनवाद (Pragmatism) - एक संक्षिप्त परिचय
प्रयोजनवाद का अर्थ एवं परिभाषा
प्रयोजनवाद, जिसे अंग्रेजी में Pragmatism कहा जाता है, एक दार्शनिक विचारधारा है, जो यह मानती है कि किसी भी सिद्धांत या विचार की सच्चाई उसकी व्यावहारिक उपयोगिता पर निर्भर करती है। इस विचारधारा के अनुसार, किसी भी विचार, क्रिया, या नीति का मूल्यांकन उसके प्रत्यक्ष परिणामों और उपयोगिता के आधार पर किया जाता है।
प्रयोजनवाद के प्रमुख दार्शनिक
चार्ल्स सैंडर्स पियर्स (Charles Sanders Peirce) - वे प्रयोजनवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने इस विचार को तर्कशास्त्र एवं विज्ञान से जोड़ा।
विलियम जेम्स (William James) - उन्होंने प्रयोजनवाद को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया और कहा कि कोई भी विचार तभी महत्वपूर्ण है जब वह व्यवहार में उपयोगी हो।
जॉन डेवी (John Dewey) - वे प्रयोजनवादी शिक्षा दर्शन के जनक माने जाते हैं। उनका मानना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को जीवन के लिए तैयार करना है, न कि केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करना।
प्रयोजनवाद के मुख्य सिद्धांत
अनुभववाद (Experiential Learning) - विद्यार्थी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
लचीलापन (Flexibility) - शिक्षा पद्धति कठोर नहीं होनी चाहिए, बल्कि बदलते समय के अनुसार विकसित होनी चाहिए।
समस्या समाधान (Problem Solving) - शिक्षा केवल याद करने के लिए नहीं, बल्कि समस्याओं का समाधान निकालने के लिए होनी चाहिए।
लोकतांत्रिक शिक्षा (Democratic Education) - विद्यार्थी एवं शिक्षक के बीच संवाद होना चाहिए ताकि शिक्षा अधिक प्रभावी हो सके।
प्रयोजनवाद और शिक्षा
प्रयोजनवादी शिक्षा प्रणाली में कक्षा गतिविधियों पर अधिक बल दिया जाता है।
विद्यार्थियों को स्व-अन्वेषण (Self Exploration) और प्रयोग द्वारा सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है।
शिक्षक का मुख्य कार्य विद्यार्थियों को एक मार्गदर्शक के रूप में सहायता प्रदान करना होता है।
वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए शिक्षा को अनुकूलित किया जाता है।
मार्क्सवाद (Marxism) - एक संक्षिप्त परिचय
मार्क्सवाद का अर्थ एवं परिभाषा
मार्क्सवाद एक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचारधारा है, जिसे कार्ल मार्क्स (Karl Marx) और फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) ने विकसित किया था। यह विचारधारा वर्ग संघर्ष, पूंजीवाद की आलोचना, और समाजवादी समाज की स्थापना पर आधारित है। मार्क्सवाद का मुख्य उद्देश्य श्रमिक वर्ग (Proletariat) को शोषण से मुक्त कराना और एक साम्यवादी समाज की स्थापना करना है।
मार्क्सवाद के प्रमुख तत्व
ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) - इतिहास की व्याख्या आर्थिक कारकों के आधार पर की जाती है।
वर्ग संघर्ष (Class Struggle) - समाज में हमेशा दो वर्गों के बीच संघर्ष चलता है: पूंजीपति (Bourgeoisie) और श्रमिक वर्ग (Proletariat)।
मूल्य सिद्धांत (Labor Theory of Value) - किसी भी वस्तु का मूल्य उसमें लगे श्रम द्वारा निर्धारित होता है।
पूंजीवाद की आलोचना (Critique of Capitalism) - मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था श्रमिकों का शोषण करती है और केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाती है।
साम्यवाद (Communism) - एक ऐसे समाज की कल्पना की गई है, जहां संपत्ति का सामूहिकीकरण होगा और सभी लोग समान होंगे।
मार्क्सवाद और शिक्षा
शिक्षा को सामाजिक बदलाव का एक महत्वपूर्ण साधन माना गया है।
शिक्षा प्रणाली को समाज के प्रभुत्वशाली वर्ग द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इसे बदलना आवश्यक है।
मार्क्सवादी शिक्षा का लक्ष्य समानता, सामाजिक न्याय और मजदूर वर्ग की चेतना को बढ़ाना है।
सरकारी शिक्षा प्रणाली को श्रमिक वर्ग के पक्ष में संशोधित करने की आवश्यकता है।
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4 апреля 2025 г. 7:37:36
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