Rajiv Dixit : Exposed Reality of Jeans Pant & Western Clothes
विदेशी भूषा पर राजीव दीक्षित भाई का बहुत ही बढ़िया विडियो |
अवश्य देखें |
#Rajiv_Dixit #Jeans_Pant #Style
आप ने मंदसौर (मध्यप्रदेश) के जीन्स पहने किसान देखे होंगे।
2 दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी "कपास घोटाला" । भारत कपास उत्पादन में नंबर 1 था।
फिर हालात ये हो गए की भारत को कपास पाकिस्तान और चीन से आयात करना पड़ा।
ऐसा क्या हो गया जो अपनी जरूरत का कपास भी भारत नहीं उगा पा रहा?
सोचने वाली बात ये की भारत का सारा कपास कहाँ जा रहा है?
**********
कुछ साल पहले तक सब से सस्ती जीन्स भी 800 रूपये की आती थी wrangler जींस। फिर नीली क्रांति हुयी और जीन्स 150 रूपये तक की आने लगी। अमेरिका से ले कर बिहार तक जीन्स ही जीन्स। 150 रूपये 200 रूपये 300 रूपये की। भारत एशिया में नंबर 1 हो गया डेनिम बनाने में। भीलवाड़ा और अहमदाबाद जीन्स का रॉ मैटीरीअल बनाता और दिल्ली में जीन्स बनती।
कुछ साल पहले तक जीन्स या डेनिम की एक ही मार्किट होती थी दिल्ली में मोहन सिंह पैलेस कनाट प्लेस। वहां पर तुर्की अमेरिका वियतनाम और चीन का डेनिम मिलता था।
आज दिल्ली के करोल बाग़ टैंक रोड गांधी नगर एशिया की नंबर 1 मार्किट हो गयी।
विश्व में जीन्स बनाने में अरविन्द मिल नंबर 1 हो गयी।
भारत के बाद नंबर है चीन बांग्लादेश और पाकिस्तान का।
जीन्स के इतिहास में नहीं जाते। सीधे अमेरिका की जीन्स पकड़ते हैं। जीन्स का कारोबार सब से ज्यादा अमेरिका में था। कीमत 100 $ से 1000 $ तक।
एक ब्रांड है lee कूपर बहुत महंगा है। फिर एक दिन देखा की lee सस्ती भी है मार्किट में।
बाद में पता चला की ये सस्ता वाला अमेरिका का है और lee कूपर ब्रिटेन का है। अमेरिका वाली जीन्स भारत में ही बनती थी।
एक जीन्स और है Levi Strauss । 150-200 साल पूरानी कंपनी है अमेरिका की। इस की 501 तो आज तक नहीं खरीद पाया।
मगर अब भारत में बनने लगी है तो जल्दी ले लूंगा। ये सब विदेशो में 100 $ से 300$ तक बिकती है। बनती भारत बांग्लादेश चीन में है। कारण लेबर सस्ती होती है। यहाँ इन की कीमत मात्र 3$ से 8$ पड़ती है। 8$ की चीज़ 100 $ में ।
अब जितने भी विकसित देश है वो जीन्स विकासशील देशो में बनवाते हैं ।
********
हुआ ये की शरद पवार ने कपास के निर्यात पर प्रतिबंद लगा दिया। किसान बरबाद हो गए। ओने पोने दामो में अपना कपास आढ़तियों को बेच दिया। जो सीधा गया अरविन्द मिल, भास्कर डेनिम, सेंचुरी डेनिम, रेमंड, मफतलाल जैसी बड़ी कंपनी में।
अभी कुछ सालो से डेनिम पर विश्व स्तर के सेमिनार हो रहे हैं। डेनिम से होने वाली मौतें और प्रदूषण पर चर्चा हो रही है।
तब Levi's के ceo का एक ब्यान आता है की लिवाइस की जीन्स को धोने की ज़रूरत नहीं। मैं तो बड़ा खुश हुआ।
**********
अमेरिका ने डेनिम बनाने का काम कम कर दिया। ये काम भारत जैसे देशो को दे दिया।
कारण डेनिम या जिन्स धरती पर पानी के बेतहाशा इस्तेमाल वाली चीजों में से एक हैं। दरअसल एक जोड़ी जींस बनाने में लगभग
#11000_लीटर पानी इस्तेमाल होता है।
जींस का कपड़ा बहुत मोटा होता है। 325 जोड़े कपास की एक गांठ से जींस को बनाया जाता है। इसे बनाने में जितनी कपास की ज़रूरत पड़ती है। उसे उगाने में 6822 लीटर पानी चाहिए होता है. इसके बाद जींस को रंगने साफ करने के लिए भी काफी पानी की ज़रूरत पड़ती है। एक जींस किसी छोटी-मोटी कार जितना प्रदूषण फैलाती है।
जीन्स की रंगाई करने में नीले या कह लो इंडिगो सिंथेटिक डाई की जरूरत पड़ती है। जिस में #कोल_टार जैसे टॉक्सिक केमिकल होते हैं। भारत में जितनी भी सस्ती जीन्स आती है ये चाइना की होती हैं और 200 - 250 वाली भारत में बनती है। इन में #सल्फर_बेस्ड डाई का इस्तेमाल होता है।
ऐसी ही डेनिम जीन्स दिल्ली के चारो और बन रही है। हज़ारो लीटर पानी फिर डाई की हुयी जीन्स का पानी सब नदियों नालो में डाला जाता है।
इस छोड़े गए पानी में मरकरी लीड कॉपर कैडमियम मैंगनीज जैसे भारी भारकम मेटल तो हैं ही साथ में #sodium_hydroxide , hydrosulfate, and formaldehyde जैसे रासायनिक तत्व भी होते हैं।
जिन से कैंसर और दिमागी विकलांगता होने के पुरे चान्स हैं। सब्जियों में जानवरो में ये हैवी मेटल और कैमिकल जा रहे हैं जिन से उन की मोत हो रही है।
जब लोगो ने इस की शिकायत की तो एनजीटी को दखल देना पड़ा। जवाब माँगा गया। मगर यहाँ निगम से लेकर केंद्र तक सब मिले हुए है तो संतोष जनक जबाव नहीं मिला।
तब एनजीटी ने कुछ फैक्ट्रियों को बंद करने के आर्डर दिए और बाकि फैक्ट्रियों को नोटिस दिया गया।
इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी को Wastewater treatment के जरिये भी ठीक नहीं किया जा सकता।
आज ये फैक्ट्रियों मालिको ने अपने यहाँ पर बड़े बड़े टैंक लगा दिए। जिस में वेस्ट वाटर रखते हैं। फिर ज़मीन में 100 - 150 फिट बोर कर के मोटर से सारा पानी ज़मीन के अंदर डाल दिया जाता है।
***********
भारत का सारा कपास इस जीन्स में चला जाता है । कुछ समय पहले तक कितनी जोड़ी जीन्स का उत्पादन हुआ ये हिसाब लगाया जाता था। अब कितनी बिलियन मीटर का उत्पादन हुआ उस का हिसाब रखा जाता है। जैसे आज की तारीख में केवल अरविन्द मिल्स वाला रोज की 8 से 10 हज़ार जीन्स की जोड़ी बनाता है। और एक जीन्स बनाने में 11000 लीटर पानी लगता है।
इसलिए कपास की दूसरी ज़रूरतो के लिए पाकिस्तान से चीन से आयात करना पड़ता है।
ये सब काम हुए हैं भारत में। कपास घोटाला के साथ साथ जल प्रदूषण वो भी राजधानी के आस पास । जिस से आने वाली पूरी पीढ़ी दिमागी रूप से कमजोर आये। दुनिया में आये तो कैंसर साथ लाये। उस के अलावा बाकि के रोग फ्री। ये सब से ज्यादा दिल्ली से सटे यूपी में हो रहा है।
#थोड़ा_सोचना एक बार
https://www.youtube.com/watch?v=ecySQ7PaYEk
Видео Rajiv Dixit : Exposed Reality of Jeans Pant & Western Clothes канала Rajiv Dixit Official
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#Rajiv_Dixit #Jeans_Pant #Style
आप ने मंदसौर (मध्यप्रदेश) के जीन्स पहने किसान देखे होंगे।
2 दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी "कपास घोटाला" । भारत कपास उत्पादन में नंबर 1 था।
फिर हालात ये हो गए की भारत को कपास पाकिस्तान और चीन से आयात करना पड़ा।
ऐसा क्या हो गया जो अपनी जरूरत का कपास भी भारत नहीं उगा पा रहा?
सोचने वाली बात ये की भारत का सारा कपास कहाँ जा रहा है?
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कुछ साल पहले तक सब से सस्ती जीन्स भी 800 रूपये की आती थी wrangler जींस। फिर नीली क्रांति हुयी और जीन्स 150 रूपये तक की आने लगी। अमेरिका से ले कर बिहार तक जीन्स ही जीन्स। 150 रूपये 200 रूपये 300 रूपये की। भारत एशिया में नंबर 1 हो गया डेनिम बनाने में। भीलवाड़ा और अहमदाबाद जीन्स का रॉ मैटीरीअल बनाता और दिल्ली में जीन्स बनती।
कुछ साल पहले तक जीन्स या डेनिम की एक ही मार्किट होती थी दिल्ली में मोहन सिंह पैलेस कनाट प्लेस। वहां पर तुर्की अमेरिका वियतनाम और चीन का डेनिम मिलता था।
आज दिल्ली के करोल बाग़ टैंक रोड गांधी नगर एशिया की नंबर 1 मार्किट हो गयी।
विश्व में जीन्स बनाने में अरविन्द मिल नंबर 1 हो गयी।
भारत के बाद नंबर है चीन बांग्लादेश और पाकिस्तान का।
जीन्स के इतिहास में नहीं जाते। सीधे अमेरिका की जीन्स पकड़ते हैं। जीन्स का कारोबार सब से ज्यादा अमेरिका में था। कीमत 100 $ से 1000 $ तक।
एक ब्रांड है lee कूपर बहुत महंगा है। फिर एक दिन देखा की lee सस्ती भी है मार्किट में।
बाद में पता चला की ये सस्ता वाला अमेरिका का है और lee कूपर ब्रिटेन का है। अमेरिका वाली जीन्स भारत में ही बनती थी।
एक जीन्स और है Levi Strauss । 150-200 साल पूरानी कंपनी है अमेरिका की। इस की 501 तो आज तक नहीं खरीद पाया।
मगर अब भारत में बनने लगी है तो जल्दी ले लूंगा। ये सब विदेशो में 100 $ से 300$ तक बिकती है। बनती भारत बांग्लादेश चीन में है। कारण लेबर सस्ती होती है। यहाँ इन की कीमत मात्र 3$ से 8$ पड़ती है। 8$ की चीज़ 100 $ में ।
अब जितने भी विकसित देश है वो जीन्स विकासशील देशो में बनवाते हैं ।
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हुआ ये की शरद पवार ने कपास के निर्यात पर प्रतिबंद लगा दिया। किसान बरबाद हो गए। ओने पोने दामो में अपना कपास आढ़तियों को बेच दिया। जो सीधा गया अरविन्द मिल, भास्कर डेनिम, सेंचुरी डेनिम, रेमंड, मफतलाल जैसी बड़ी कंपनी में।
अभी कुछ सालो से डेनिम पर विश्व स्तर के सेमिनार हो रहे हैं। डेनिम से होने वाली मौतें और प्रदूषण पर चर्चा हो रही है।
तब Levi's के ceo का एक ब्यान आता है की लिवाइस की जीन्स को धोने की ज़रूरत नहीं। मैं तो बड़ा खुश हुआ।
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अमेरिका ने डेनिम बनाने का काम कम कर दिया। ये काम भारत जैसे देशो को दे दिया।
कारण डेनिम या जिन्स धरती पर पानी के बेतहाशा इस्तेमाल वाली चीजों में से एक हैं। दरअसल एक जोड़ी जींस बनाने में लगभग
#11000_लीटर पानी इस्तेमाल होता है।
जींस का कपड़ा बहुत मोटा होता है। 325 जोड़े कपास की एक गांठ से जींस को बनाया जाता है। इसे बनाने में जितनी कपास की ज़रूरत पड़ती है। उसे उगाने में 6822 लीटर पानी चाहिए होता है. इसके बाद जींस को रंगने साफ करने के लिए भी काफी पानी की ज़रूरत पड़ती है। एक जींस किसी छोटी-मोटी कार जितना प्रदूषण फैलाती है।
जीन्स की रंगाई करने में नीले या कह लो इंडिगो सिंथेटिक डाई की जरूरत पड़ती है। जिस में #कोल_टार जैसे टॉक्सिक केमिकल होते हैं। भारत में जितनी भी सस्ती जीन्स आती है ये चाइना की होती हैं और 200 - 250 वाली भारत में बनती है। इन में #सल्फर_बेस्ड डाई का इस्तेमाल होता है।
ऐसी ही डेनिम जीन्स दिल्ली के चारो और बन रही है। हज़ारो लीटर पानी फिर डाई की हुयी जीन्स का पानी सब नदियों नालो में डाला जाता है।
इस छोड़े गए पानी में मरकरी लीड कॉपर कैडमियम मैंगनीज जैसे भारी भारकम मेटल तो हैं ही साथ में #sodium_hydroxide , hydrosulfate, and formaldehyde जैसे रासायनिक तत्व भी होते हैं।
जिन से कैंसर और दिमागी विकलांगता होने के पुरे चान्स हैं। सब्जियों में जानवरो में ये हैवी मेटल और कैमिकल जा रहे हैं जिन से उन की मोत हो रही है।
जब लोगो ने इस की शिकायत की तो एनजीटी को दखल देना पड़ा। जवाब माँगा गया। मगर यहाँ निगम से लेकर केंद्र तक सब मिले हुए है तो संतोष जनक जबाव नहीं मिला।
तब एनजीटी ने कुछ फैक्ट्रियों को बंद करने के आर्डर दिए और बाकि फैक्ट्रियों को नोटिस दिया गया।
इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी को Wastewater treatment के जरिये भी ठीक नहीं किया जा सकता।
आज ये फैक्ट्रियों मालिको ने अपने यहाँ पर बड़े बड़े टैंक लगा दिए। जिस में वेस्ट वाटर रखते हैं। फिर ज़मीन में 100 - 150 फिट बोर कर के मोटर से सारा पानी ज़मीन के अंदर डाल दिया जाता है।
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भारत का सारा कपास इस जीन्स में चला जाता है । कुछ समय पहले तक कितनी जोड़ी जीन्स का उत्पादन हुआ ये हिसाब लगाया जाता था। अब कितनी बिलियन मीटर का उत्पादन हुआ उस का हिसाब रखा जाता है। जैसे आज की तारीख में केवल अरविन्द मिल्स वाला रोज की 8 से 10 हज़ार जीन्स की जोड़ी बनाता है। और एक जीन्स बनाने में 11000 लीटर पानी लगता है।
इसलिए कपास की दूसरी ज़रूरतो के लिए पाकिस्तान से चीन से आयात करना पड़ता है।
ये सब काम हुए हैं भारत में। कपास घोटाला के साथ साथ जल प्रदूषण वो भी राजधानी के आस पास । जिस से आने वाली पूरी पीढ़ी दिमागी रूप से कमजोर आये। दुनिया में आये तो कैंसर साथ लाये। उस के अलावा बाकि के रोग फ्री। ये सब से ज्यादा दिल्ली से सटे यूपी में हो रहा है।
#थोड़ा_सोचना एक बार
https://www.youtube.com/watch?v=ecySQ7PaYEk
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