नकली शमी की असली पहचान - वीरतरु वृक्ष कैसे पहचाने
Veertaru
वेलन्तरो जगति वीरतरुः प्रसिद्धः श्वेतासितारुणविलोहितनील (पीत-पाठा. )पुष्पः ।।
स्याज्जातितुल्यकुसुमः शमिसूक्ष्मपत्रः स्यात्कण्टकी विजलदेशज एव (एष-पाठा.) वृक्षः ॥३०२॥
वेल्लन्तरो रसे पाके तिक्तस्तृष्णाकफापहः । मूत्राघाताश्मजिग्राही योनिमूत्रानिलार्तिजित् ॥३०३॥
वीरतरु के नाम तथा गुण–वेल्लन्तर और वीरतरु ये दो नाम जगत् में प्रसिद्ध हैं, इसके पुष्पजाती (चमेली) के फूलों के समान होते हैं और वे सफेद, काले, अरुण, गाढ़े लाल तथा नीले रंग के होते हैं। पत्ते-शमी के पत्तों के समान सूक्ष्म होते हैं और यह काँटेदार तथा निर्जल प्रदेशों में उत्पन्न होने वाला वृक्ष होता है । वीरतरु–विपाक तथा रस में तिक्त तथा ग्राही होता है एवं तृषा, कफ, मूत्राघात, पथरी, योनिरोग, मूत्ररोग एवं वातिक पीड़ा को नष्ट करने वाला होता है।
वीरतरु । हि०-बेलन्तर, बीरतरु, बरबेल, वरतुली । ते०-लतुरा । मा०-खड़ी कंलई, कुंरात, खेरी । अजमेर०खेड़ी । राजपुताना०-खेन । म०-सिगमकाटी । गु०-केल्लूतरो । ता०–विड़तल्लै, वेल्लतुरू। ले०-Caillica cinerea Macb. (केलिका सिनेरिया); Syn. Dichrostachys cinerea W. & A. (डाइक्रोस्टॅचिस् सिनेरिया)। Fam. Araceae (अरेसी)।
यह पश्चिमोत्तर प्रदेश, मध्य भारत, राजपूताना, डेक्कन, दक्षिण महाराष्ट्र तथा उत्तरी कन्नड़ से सिलोन तक होता है। मलाया तथा उत्तरी आस्ट्रेलिया में भी यह पाया जाता है। | यह वृक्ष-झाड़दार, मध्यमाकार का या छोटे कद का काँटेदार होता है। इस पर सीधे, दृढ़, और तीखे काँटे रहते हैं। पत्ते-द्विपक्षवत् ३.२-६.३ से.मी. लम्बे होते हैं, जिसमें प्रधान पत्रदण्ड मृदुरोमश तथा प्रत्येक उपपक्ष के बीच ग्रन्थि होती है। उपपक्ष-८-१४ जोड़े, १-१.६ से.मी. लम्बे एवं विनाल होते हैं, जिस पर सक्ष्म, तिर्यक, रेखाकार, विनाल पत्रक-१२-२० जोड़ों की संख्या में
है। सितम्बर से अक्टूबर तक इस पर २.५-३.८ से.मी. लम्बी विदण्डिक पुष्पमञ्जरी में पुष्प आते 'मञ्जरी का ऊपर का आधा भाग पीत एवं नीचे का आधा भाग लाल रहता है। ऊपर के पुष्पों
"युक्त पुंकेसर पीत रहते हैं तथा नीचे के पराग रहित पुंकेसर बहुत लम्बे एवं लाल रहते हैं।
१७.५ से.मी. लम्बी, ०.६-१.० से.मी. चौड़ी, चिपटी, गहरे भूरे रंग की तथा पकने पर ऐठी ९ है जिसमें ६-१० बीज होते हैं। सुश्रुत में इसका उल्लेख मिलता है।
All rights reserved by
Dr. Shrikant Hadole & Dr. Shubhangi Jadhav Hadole
Видео नकली शमी की असली पहचान - वीरतरु वृक्ष कैसे पहचाने канала Dravyaguna
वेलन्तरो जगति वीरतरुः प्रसिद्धः श्वेतासितारुणविलोहितनील (पीत-पाठा. )पुष्पः ।।
स्याज्जातितुल्यकुसुमः शमिसूक्ष्मपत्रः स्यात्कण्टकी विजलदेशज एव (एष-पाठा.) वृक्षः ॥३०२॥
वेल्लन्तरो रसे पाके तिक्तस्तृष्णाकफापहः । मूत्राघाताश्मजिग्राही योनिमूत्रानिलार्तिजित् ॥३०३॥
वीरतरु के नाम तथा गुण–वेल्लन्तर और वीरतरु ये दो नाम जगत् में प्रसिद्ध हैं, इसके पुष्पजाती (चमेली) के फूलों के समान होते हैं और वे सफेद, काले, अरुण, गाढ़े लाल तथा नीले रंग के होते हैं। पत्ते-शमी के पत्तों के समान सूक्ष्म होते हैं और यह काँटेदार तथा निर्जल प्रदेशों में उत्पन्न होने वाला वृक्ष होता है । वीरतरु–विपाक तथा रस में तिक्त तथा ग्राही होता है एवं तृषा, कफ, मूत्राघात, पथरी, योनिरोग, मूत्ररोग एवं वातिक पीड़ा को नष्ट करने वाला होता है।
वीरतरु । हि०-बेलन्तर, बीरतरु, बरबेल, वरतुली । ते०-लतुरा । मा०-खड़ी कंलई, कुंरात, खेरी । अजमेर०खेड़ी । राजपुताना०-खेन । म०-सिगमकाटी । गु०-केल्लूतरो । ता०–विड़तल्लै, वेल्लतुरू। ले०-Caillica cinerea Macb. (केलिका सिनेरिया); Syn. Dichrostachys cinerea W. & A. (डाइक्रोस्टॅचिस् सिनेरिया)। Fam. Araceae (अरेसी)।
यह पश्चिमोत्तर प्रदेश, मध्य भारत, राजपूताना, डेक्कन, दक्षिण महाराष्ट्र तथा उत्तरी कन्नड़ से सिलोन तक होता है। मलाया तथा उत्तरी आस्ट्रेलिया में भी यह पाया जाता है। | यह वृक्ष-झाड़दार, मध्यमाकार का या छोटे कद का काँटेदार होता है। इस पर सीधे, दृढ़, और तीखे काँटे रहते हैं। पत्ते-द्विपक्षवत् ३.२-६.३ से.मी. लम्बे होते हैं, जिसमें प्रधान पत्रदण्ड मृदुरोमश तथा प्रत्येक उपपक्ष के बीच ग्रन्थि होती है। उपपक्ष-८-१४ जोड़े, १-१.६ से.मी. लम्बे एवं विनाल होते हैं, जिस पर सक्ष्म, तिर्यक, रेखाकार, विनाल पत्रक-१२-२० जोड़ों की संख्या में
है। सितम्बर से अक्टूबर तक इस पर २.५-३.८ से.मी. लम्बी विदण्डिक पुष्पमञ्जरी में पुष्प आते 'मञ्जरी का ऊपर का आधा भाग पीत एवं नीचे का आधा भाग लाल रहता है। ऊपर के पुष्पों
"युक्त पुंकेसर पीत रहते हैं तथा नीचे के पराग रहित पुंकेसर बहुत लम्बे एवं लाल रहते हैं।
१७.५ से.मी. लम्बी, ०.६-१.० से.मी. चौड़ी, चिपटी, गहरे भूरे रंग की तथा पकने पर ऐठी ९ है जिसमें ६-१० बीज होते हैं। सुश्रुत में इसका उल्लेख मिलता है।
All rights reserved by
Dr. Shrikant Hadole & Dr. Shubhangi Jadhav Hadole
Видео नकली शमी की असली पहचान - वीरतरु वृक्ष कैसे पहचाने канала Dravyaguna
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
सावधान ! पवित्र शमी वृक्ष के साथ कदापि ना करेंशमी वृक्ष को कैसे पहचाने Shami plant prosopis cineraria Prosopis spicigera identification Fake Shamiशमी से जुड़े असरदार टोटके | Bhawna Sharma | Astro Tak LIVEशमी के इस पूजा उपाय से तुरंत मिलती है गणेश जी की कृपा फिर रुके काम भी होंते हैं पूरे, शमी के टोटकेShami ka Podha घर में शमी का पौधा लगाने के 21 चमत्कारी फायदे Ghar Mein Shami Ka Paudhaकहीं मिल जाए यह पौधा तो जल्दी से इसे अपने आंगन में लगा ले यह बड़े काम की औषधि हैखैर वृक्ष को कैसे पहचाने Khadir tree identification tips in hindi Acacia catechu identification tipsजानिए, रोज- रात के समय में क्यों रोते हैं पारिजात के फूल... | Legend Behind Parijat Flower Mysteryघर लायें इस पौधे की जड़ कंगाल को भी बना देगी मालामाल || Hatthajodi Ped Ki Jad Se Karen upay -घर में अपने आप उगेगा शमी का पौधा, Shami Plant, Shami ka paudha, शमी का पौधा लगाने के लिएजानिए असली शमी पौधे के बारे में || Know The Real Shami (Prosopsis Cinereria) Plant's Identification)ये फूलों को चढाने से शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं || Best Offering For Lord Shivaशमी की कौन सी पत्ती चड़ाना है shami ke patte, shami patra kya hai, shami ka ped, shami ka paudhaपारिजात वृक्ष जिसे छूने से ही मिट जाती है थकानयह चमत्कारी पौधा जहाँ भी मिले मत छोड़ना घर में लगाते ही हो जाओगे मालामाल |11 शुभ पौधे आपके घर के लिए || Lucky Plants for your home || Good Luck Plantsतुरंत हटा दें शमी के पौधे के पास से 5 चीजें नहीं तो पूरे घर की बर्बादी हो जाएगी shami plantvastu plants in home घर के लिए 10 शुभ वृक्ष | 10 Lucky Plants For House Gardenshami plant ask guru, shami ka ped, shami ke ped lagane ke fayd, shami tree benefits, plant in houseशमी पौधा कहां लगाना है शमी के फायदे Shami Plant, shami ka podha, shami ka ped kaha lagana chahiye,