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Polar Bear in hindi पोलर बेयर हिंदी में

पोलर बेयर हिंदी में POLAR BEAR IN HINDI
पोलर बेयर पूरी दुनिया का सबसे बड़ा भालू होने के साथ साथ सबसे बड़ा मांसाहारी जानवर भी है एक पूरे जवान नर पोलर बेयर का वजन 700 kg तक होता है , ये भालू आर्कटिक महासागर चारो और फैला हुआ है जिनमे कनाडा, रूस, ग्रीनलैंड, नॉर्वे और अमेरिका जैसे देश शामिल है इसका ज्यादातर समय समुन्द्र के आस पास बीतता है । ये बेहद ठन्ड और मुश्किल हालातो में रहने के लिए अनुकूल है दिखने में लम्बे चमकदार सफ़ेद बालो वाला ये भालू बेहद ख़ूबसूरत होता है लेकिन वास्तव में पोलर बेयर के बाल सफ़ेद नहीं होते असल में इसके बालो का कोई रंग ही नहीं होता ये पारदर्शी होते है सूरज की रौशनी के परावर्तन के कारण ये सफ़ेद दिखाई देते है यहाँ तक की पोलर बेयर की त्वचा का रंग भी काला होता है ,ये बाल खून ज़माने वाली ठण्ड में इसके लिए मददगार होते है और इसकी काली त्वचा अधिक से अधिक गर्मी अपने अन्दर सोख लेती है इसके साथ ही पोलर बेयर के त्वचा के निचे 5 इंच मोटी चर्बी की परत होती है अपने शरीर की इन सभी खासियतो की वजह से से ये -40 डिग्री सेल्सिय में भी अपने शरीर के तापमान को सामान्य रखता है ।
इतनी कठिन हालतों में रहने की वजह से पोलर बेयर की संख्या का अनुमान लगान मुश्किल है लेकिन ज्यादातर जीव वैज्ञानिक दुनिया भर में 20 से 25 हजार पोलर बेयर होने का अंदाज़ा लगते है ।
पोलर बेयर की 19 उप प्रजातीय है जिनमे से 8 प्रजातियों की संख्या घट रही है 3 स्थिर है और 1 प्रजाति की संख्या बढ़ रही है बाकी की सात प्रजातियों के बारे में आकडे उपलब्ध नहीं है पोलर बेयर को एक समुद्री स्तनपायी माना जाता है क्योंकि यह वर्ष के कई महीने समुद्र पर बिताता है ये बर्फ के रूप में जमे हुए समुंदर और और खास तौर से ऐसी जगह पर रहना पसंद करता है जहाँ समुंदरी बर्फ और पानी मिले हुए होते हैभूरे भालू की तुलना में पोलर बेयर अधिक लम्बा और शारीरिक रूप से ज्यादा मजबूत होता है इसकी लम्बाई 10 फीट तक हो जाती है अब तक दर्ज किया गया सबसे भारी नर का वजन 1002 किलो था मादा का आकर व वजन नर से लगभग आधा होता है ,पोलर बेयर के पैर भी भूरे भालू की तुलना में ज्यादा चौड़े होते है जो इसकी बर्फ पे चलने और तैरने में मदद करते है हालाँकि पोलर बेयर के पंजो की लम्बाई भूरे भालू की अपेक्षाक्रत छोटी होती है ।
आहार के मामले में दुसरे सभी भालुओ की तुलना में पोलर बेयर सबसे ज्यादा मांस पे निर्भर रहने वाला भालू है इसका मुख्य भोजन दाडी वाले सील है
वयस्क भालू सील की केवल कैलोरी युक्त त्वचा और चर्बी खाते हैं, जबकि छोटे भालू प्रोटीन युक्त लाल मीट खाना पसंद करते है पोलर बेयर बहुत ताकतवर जानवर है ये कभी कभी वालरस का भी शिकार करता है इसके आलावा ये मछली , केकड़े, पक्षी, अंडे और मरे हुए जानवर के आलावा इंसानों के द्वारा फेंका गया कचरा और समुंदरी घास भी खाते है ।
पानी में पोलर बेयर जबरदस्त तैराक होते है ये 10 kmph की रफ़्तार से कई दिनों तक बिना रुके लगातार तैर सकते है और एक ही बार में पानी में 300 किलोमीटर तक का सफ़र बड़े आराम से तय कर सकते है गर्मियों के अंत में समुंदरी बर्फ पिघलने के कारण पोलर बेयर सीलो का शिकार नहीं कर पाते ऐसे समय में अपने शरीर में जमा चर्बी की वजह से कई महीने तक बिना खाए भी रह सकते है ।
पोलर बेयर अप्रैल या मई में सम्भोग करते है सभोग के दौरान नर भालूओ की मादा ले लिए आपस में जोरदार लड़ाईया होती है अपने गर्भकाल के दौरान मादा अपने खाने की मात्रा बड़ा देतीहै और उसका वजन सामान्य दे दोगुना हो जाता है उसके बाद ये अपनी मांद में जाकर आराम करती है इस दौरान उसके दिल की धड़कन 50 प्रति मिनट से 25 प्रति मिनट हो जाती है हालाँकि भूरे भालुओ की तरह ये लगातार सोती नहीं रहती लेकिन इस दौरान ये कुछ भी खाती पीती नहीं है सर्दियों की शुरुआत में ये औसतन दो बच्चो को जन्म देती है जन्म के समय शावको का वजन सिर्फ आधा किलो होता है लेकिन अपनी माँ का चर्भी युक्त दूध पी कर सिर्फ 2 महीने में ही इनका वजन 15 किलो तक हो जाता है कारीब दो से ढाई साल की उम्र तक बच्चे अपनी माँ के साथ ही रहते है उसके बाद माँ इनको अकेला छोड़ के चली जाती है ।
माँ के छोड़े जाने के महीनो बाद भी शावक एक साथ रहते और शिकार करते है लेकिन अपनी बाकी कीजिन्दगी ये अकेले ही गुजारते है
जंगल में पोलर बेयर 20 से 25 साल की उमर तक जिन्दा रहते है क्योंकि बूढ़े होने के बाद किसी भी जंगली जानवर के लिए शिकार करना मुशिकिल हो जाता है और भूख के वजह से उसकी मौत हो जाती है लेकिन चिड़ियाघरो में पोलर बेयर 40 साल की उमर तक जिन्दा रह सकते है ।
पोलर बेयर आर्क्टिक में आहार श्रृंखला में सबसे उपर है वहां इनसे लड़ाई करने और मारने वाला जानवर सिर्फ दूसरा पोलर बेयर ही हो सकता है लेकिन ऐसे दुर्गम इलाको में रहने के बावजूद भी ये इंसानों से सुरक्षित नहीं है आर्कटिक में रहने वाले शिकारी लोग लम्बे समय से पोलर बेयर का शिकार करते आ रहे है इसके फर का इस्तेमाल कपडे सिलने और जूते बनाने के लिए किया जाता है ।
लेकिन इन सबसे बढकर जीव वैज्ञानिको ने ग्लोबल वार्मिंग के चलते बढ़ते तापमान को इन भालुओ के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माना है तापमान में हो रही बढोतरी के कारण समुंदरी बर्फ से जल्दी पिघलनी शुरू हो जाती है जिससे भालुओ को पर्याप्त वासा जमा जमा करने के लिए मुश्किल होती है इसके साथ ही बर्फ की चादरों की कमी के कारण भालुओ को सीलो का शिकार करने में कठिनाई होती है ऐसा अंदाजा लगाया जाता है के ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वर्ष 2050 तक दो तिहाई भालू गायब हो जायेंगे ।

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20 февраля 2017 г. 23:08:22
00:06:25
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