बड़ी ही रोचक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथाजानें कैसे हुई थी स्थापना?#jyotirling
वैसे तो भारत में महादेव के कई मंदिर है, लेकिन ज्योतिर्लिंग का इन सभी में विशेष महत्व है, प्रत्येक ज्योतिर्लिंग से पौराणिक कथा जुड़ी है, भारत वर्ष में भगवान शिव के मुख्य रूप से 12 ज्योतिर्लिंग हैं. जो देश के कोने-कोने में भव्य मंदिरों के रूप में स्थापित हैं. भगवान शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना एक अलग महत्व है. यहां हम आपको भगवान शिव के दूसरे ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन से जुड़ी पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में बताते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इनका स्थान अत्यंत पवित्र है साथ हीं आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, इस ज्योतिर्लिंगों को"दक्षिण का कैलाश" भी कहा जाता है, यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव और माता पार्वती के करुणामय और वात्सल्य रूप का प्रतीक है
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिव पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है, इसे भगवान शिव और देवी पार्वती का स्थायी निवास स्थान माना गया है, इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि, यहां शिव और शक्ति, दोनों की पूजा की जाती है, पुराणों के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, यह स्थान साधना, ध्यान और आत्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है
शिव पुराण के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा भगवान शंकर, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी से जुड़ी है, जब गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी विवाह योग्य हुए तो एक दिन शिव जी और देवी पार्वती ने सोचा कि अब इन दोनों पुत्रों का विवाह करा देना चाहिए।
दोनों पुत्रों के विवाह का विचार आने के बाद शिव-पार्वती ने कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी को बुलाया। शिव जी ने दोनों पुत्रों से कहा कि आप दोनों में से जो इस संसार की परिक्रमा करके पहले लौट आएगा, हम उसका विवाह पहले कराएंगे।
भगवान शंकर कि शर्त सुनते ही कार्तिकेय स्वामी अपने वाहन मोर पर बैठकर तुरंत उड़ गए, गणेश जी अपने वाहन चूहे पर बैठे और कुछ सोचने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर ली, गणेश जी ने शिव जी और माता पार्वती से कहा कि, मेरे लिए तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं
गणेश जी की इस बात से भगवान शंकर और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हो गए, उन्होंने गणेश जी का विवाह करा दिया, इसके कुछ समय बाद कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके लौट आए, उन्होंने देखा कि गणेश जी का तो विवाह हो गया है
कार्तिकेय स्वामी को पूरी बात मालूम हुई तो वे क्रोधित हो गए, उन्हें लगा कि माता-पिता यानी भगवान शंकर और माता पार्वती ने उनके साथ सही नहीं किया है, इस बात क्रोधित होकर कार्तिकेय स्वामी ने कैलाश पर्वत छोड़ दिया और क्रौंच पर्वत पर चले गए, ये क्रौंच पर्वत दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, इसे श्रीशैल और श्रीपर्वत भी कहा जाता है
नाराज कार्तिकेय को मनाने की शिव जी और देवी पार्वती ने बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय स्वामी नहीं माने, जब भगवान शंकर और माता पार्वती को ये लगा कि कार्तिकेय अब कैलाश लौटकर नहीं आएंगे तो उन्होंने तय कि, अब से वे ही समय-समय पर कार्तिकेय जी से मिलने जाएंगे, माना जाता है कि इसके बाद से भगवान शंकर और माता पार्वती वेष बदलकर कार्तिकेय जी को देखने पहुंचते थे।
जब ये बात कार्तिकेय स्वामी को मालूम हुई कार्तिकेय अपने माता-पिता को देख और दूर चले गए, अंत में पुत्र के दर्शन के लिए भगवान शिव ने ज्योति रूप धारण किया और उसी में माता पार्वती भी विराजमान हो गईं, उसी दिन से इन्हें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा, एक मान्यता ये भी है कि हर अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर देवी पार्वती कार्तिकेय से मिलने श्रीपर्वत पर आती हैं, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में मल्लिका का अर्थ है पार्वती, और अर्जुन का अर्थ है शिव
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, जो नल्लामला पर्वतमाला का एक हिस्सा है, यह स्थान कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, और प्रकृति की गोद में बसा हुआ है, श्रीशैलम का यह मंदिर एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, और इसकी प्राकृतिक सुंदरता भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करती है, यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टि से भी विशेष माना जाता है।
आशा करती हुँ कि आपको हमारी ये जानकारी पसंद आयेगी और भगवान शिव कि कृपा आप पर खुब बरसेगी, अगले विडीयो मे हम जानेगें, महाकाल ज्योतिर्लिंग की कथा और महत्व के बारे में, साथ ही जानेगे महाकाल ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई, तब तक ऐसी ही तमाम रोचक कथाओ और जानकारीयो को जानने के लिए सब्क्राइब करे हमारे चैनेल श्रीजी को और प्रेम से बोले राधे राधे#mahadev #jyotirling #gyan #motivation #story #mythology #inspiration #gyankibaatein
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इनका स्थान अत्यंत पवित्र है साथ हीं आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, इस ज्योतिर्लिंगों को"दक्षिण का कैलाश" भी कहा जाता है, यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव और माता पार्वती के करुणामय और वात्सल्य रूप का प्रतीक है
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिव पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है, इसे भगवान शिव और देवी पार्वती का स्थायी निवास स्थान माना गया है, इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि, यहां शिव और शक्ति, दोनों की पूजा की जाती है, पुराणों के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, यह स्थान साधना, ध्यान और आत्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है
शिव पुराण के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा भगवान शंकर, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी से जुड़ी है, जब गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी विवाह योग्य हुए तो एक दिन शिव जी और देवी पार्वती ने सोचा कि अब इन दोनों पुत्रों का विवाह करा देना चाहिए।
दोनों पुत्रों के विवाह का विचार आने के बाद शिव-पार्वती ने कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी को बुलाया। शिव जी ने दोनों पुत्रों से कहा कि आप दोनों में से जो इस संसार की परिक्रमा करके पहले लौट आएगा, हम उसका विवाह पहले कराएंगे।
भगवान शंकर कि शर्त सुनते ही कार्तिकेय स्वामी अपने वाहन मोर पर बैठकर तुरंत उड़ गए, गणेश जी अपने वाहन चूहे पर बैठे और कुछ सोचने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर ली, गणेश जी ने शिव जी और माता पार्वती से कहा कि, मेरे लिए तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं
गणेश जी की इस बात से भगवान शंकर और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हो गए, उन्होंने गणेश जी का विवाह करा दिया, इसके कुछ समय बाद कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके लौट आए, उन्होंने देखा कि गणेश जी का तो विवाह हो गया है
कार्तिकेय स्वामी को पूरी बात मालूम हुई तो वे क्रोधित हो गए, उन्हें लगा कि माता-पिता यानी भगवान शंकर और माता पार्वती ने उनके साथ सही नहीं किया है, इस बात क्रोधित होकर कार्तिकेय स्वामी ने कैलाश पर्वत छोड़ दिया और क्रौंच पर्वत पर चले गए, ये क्रौंच पर्वत दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, इसे श्रीशैल और श्रीपर्वत भी कहा जाता है
नाराज कार्तिकेय को मनाने की शिव जी और देवी पार्वती ने बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय स्वामी नहीं माने, जब भगवान शंकर और माता पार्वती को ये लगा कि कार्तिकेय अब कैलाश लौटकर नहीं आएंगे तो उन्होंने तय कि, अब से वे ही समय-समय पर कार्तिकेय जी से मिलने जाएंगे, माना जाता है कि इसके बाद से भगवान शंकर और माता पार्वती वेष बदलकर कार्तिकेय जी को देखने पहुंचते थे।
जब ये बात कार्तिकेय स्वामी को मालूम हुई कार्तिकेय अपने माता-पिता को देख और दूर चले गए, अंत में पुत्र के दर्शन के लिए भगवान शिव ने ज्योति रूप धारण किया और उसी में माता पार्वती भी विराजमान हो गईं, उसी दिन से इन्हें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा, एक मान्यता ये भी है कि हर अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर देवी पार्वती कार्तिकेय से मिलने श्रीपर्वत पर आती हैं, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में मल्लिका का अर्थ है पार्वती, और अर्जुन का अर्थ है शिव
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, जो नल्लामला पर्वतमाला का एक हिस्सा है, यह स्थान कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, और प्रकृति की गोद में बसा हुआ है, श्रीशैलम का यह मंदिर एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, और इसकी प्राकृतिक सुंदरता भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करती है, यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टि से भी विशेष माना जाता है।
आशा करती हुँ कि आपको हमारी ये जानकारी पसंद आयेगी और भगवान शिव कि कृपा आप पर खुब बरसेगी, अगले विडीयो मे हम जानेगें, महाकाल ज्योतिर्लिंग की कथा और महत्व के बारे में, साथ ही जानेगे महाकाल ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई, तब तक ऐसी ही तमाम रोचक कथाओ और जानकारीयो को जानने के लिए सब्क्राइब करे हमारे चैनेल श्रीजी को और प्रेम से बोले राधे राधे#mahadev #jyotirling #gyan #motivation #story #mythology #inspiration #gyankibaatein
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6 мая 2025 г. 20:15:21
00:04:44
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