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एक रहस्यमय मंदिर /Bagulamukhi Temple#godess #amazingfacts @Factogram_World

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया। उसे वरदान प्राप्त था कि पानी में मानव और देवता उसे नहीं मार सकते। ऐसे में ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। इससे बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और बह्मा को उनका ग्रंथ लौटाया
कांगड़ा जिले से लगभग 30 किमी दूर, बगलामुखी मंदिर ज्वाला जी और चिंतपूर्णी देवी मंदिर दोनों के पास एक सिद्ध पीठ है। यह बगलामुखी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जो 10 महाविद्याओं में से एक हैं और यह देवी सभी बुराइयों का नाश करने वाली मानी जाती हैं। पीला रंग बगलामुखी देवी का सबसे प्रिय रंग है इसलिए मंदिर को पीले रंग में रंगा गया है।
भक्त यहां पीले रंग की पोशाक पहनते हैं और पीले रंग की मिठाइयां (जैसे-बेसन के लड्डू) देवी को अर्पित की जाती हैं। लोग कानूनी मामलो से जुड़े संघर्षों में जीत के लिए, अपने दुश्मन को हराने के लिए, व्यापार में समृद्ध होने और अपने प्रेमी का दिल जीतने के लिए देवी के पास पहुंचकर बगलामुखी मंदिर में मन्नत मांगते हैं।

रावण ने भी मां बगलामुखी की आराधना की शक्ति से तीनों लोकों में विजय प्राप्त की थी और भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई की और उन्हें रावण की आराध्य देवी के बारे में पता चला तो उन्होंने भी रावण से युद्ध से पहले मां बगलामुखी की स्तुति की थी।

पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगला की पूजा की और वियज पाई।

मां बगलामुखी को पीतांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है। मान्यता है कि युद्ध हो या राजनीति या फिर कोर्ट-कचहरी के विवाद, मां के मंदिर में यज्ञ कर हर कोई मन वांछित फल पाता है।

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